प्रजासत्ता|
केद्र सरकार ने पद्म पुरस्कारों की घोषणा की है। हिमाचल प्रदेश के दो लोगों को पद्मश्री सम्मान से नवाजा जाएगा। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के देवठी-मझगांव क्षेत्र के विद्यानंद सरैक को साहित्य और शिक्षा के लिए यह सम्मान मिलेगा। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सम्मान पाने वालों की लिस्ट जारी की गई है। विद्यानंद सरैक कवि, गीतकार, गायक और शिक्षाविद् हैं। उन्हें संगीत नाटक अकादमी अवार्ड समेत कई पुरस्कार मिल चुके हैं।
सिरमौर के राजगढ़ क्षेत्र के देवठी मझगांव निवासी प्रसिद्ध साहित्यकार, कलाकार और लोकगायक विद्यानंद सरैक को साहित्य व शिक्षा के क्षेत्र में पद्मश्री मिलने से समूचे क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई है। देवठी मझगांव निवासी विद्यानंद सरैक का जन्म 26 जून 1941 को पिता गणेशाराम सरैक और माता मुन्नी देवी के घर हुआ। निर्धन परिवार में जन्में विद्यानंद सरैक के पिता की मृत्यु जल्द हो गई थी। उन्होंने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद स्नातक तक शिक्षा हासिल की। 1959 से 1976 तक शिक्षा विभाग में अध्यापक के रूप में सेवाएं दीं। पारिवारिक पृष्ठभूमि के चलते चार वर्ष की आयु से ही वह करियाला (नाटक) मंच से जुड़ गए और लोक संस्कृति के प्रति उनका लगाव बढ़ता गया।
81 वर्ष की आयु में भी वह लोक साहित्य, लोक संस्कृति के संरक्षण में जुड़े हैं। वर्ष 1972 में उन्होंने पहाड़ी कविताओं की पुस्तकों का संग्रह चिट्टी चादर, होरी जुबड़ी, नालो झालो रे सुर भाषा एवं संस्कृति विभाग के साथ मिल कर किया। 200 से अधिक सम्मान प्राप्त करने वाले विद्यानंद सरैक को 2018 में राष्ट्रपति अवार्ड से भी नवाजा गया।
उन्होंने 2003 में चूड़ेश्वर लोक नृत्य सांस्कृतिक मंडल के साथ मिलकर लोक संस्कृति और पहाड़ी भाषा के संरक्षण का कार्य आरंभ किया। कुछ समय पहले खंड विकास अधिकारी कार्यालय राजगढ़ से उनकी उपलब्धियों का रिकॉर्ड मांगा गया था। अब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने विद्यानंद सरैक को साहित्य के क्षेत्र में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार देने की घोषणा की है, जिसे राष्ट्रपति मार्च अप्रैल माह में औपचारिक समारोह में प्रदान करेंगे। विद्यानंद सरैक ने इसके लिए प्रदेश और केंद्र सरकार का आभार जताया है।