प्रजासत्ता|
आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को गोपनीय सूचनाएं लीक करने के मामले में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने हिमाचल प्रदेश काडर के आईपीएस अधिकारी अरविंद दिग्विजय नेगी को गिरफ्तार किया है। वहीँ अब आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को सपोर्ट करने वाले ओवरग्राउंड वर्कर्स के आरोपों की जाँच सीबीआई से करवाने की मांग को लेकर हिमाचल के तीन कांग्रेसी विधायकों जगत सिंह नेगी, नन्दलाल और मोहन लाल ब्राक्टा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है।
उनका कहना है कि अरविंद दिग्विजय नेगी को उत्कृष्ट कार्यो के लिए राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित भी किया गया है। उनकी पहचान ईमानदार, निष्ठा, कुशल कार्यशैली व तेजतरार अधिकारी के रूप में चर्चित रहने के साथ-साथ एनआईए व प्रदेश पुलिस में लंबे समय तक अपनी सेवाएं देते हुए बहुत सारे आतंकी व बड़े-बड़े मामले को हल करने में उनकी अहम भूमिका रही है।
जबकि एनाईए द्वारा उनके खिलाफ आरोप लगाए गए हैं मामला दर्ज किया गया है लेकिन यह तर्क संगत नही है कि आरोप लगाने वाला ही जांच करे, इस तरह तो फंसाने की ज्यादा कोशिश होगी और न्याय नहीं मिल पायेगा। उन्होंने मांग की है कि अरविंद दिग्विजय नेगी के पूर्व में किए गए उत्कृष्ट कार्यों को मद्देनजर रखते हुए उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच का मामला केंद्र सरकार के सामने गंभीरता से उठाया जाए सीबीआई द्वारा इस पुरे मामले की जाँच करवाई जाए, क्योंकि यह मामला हिमाचल प्रदेश के एक होनार आईपीएस अधिकारी से जुड़ा हुआ है।
बता दें कि आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को गोपनीय सूचनाएं लीक करने के मामले में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने हिमाचल प्रदेश काडर के आईपीएस अधिकारी अरविंद दिग्विजय नेगी को गिरफ्तार किया है। नेगी इसके पहले नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी में ही बतौर एसपी तैनात थे। जहां से इस मामले की जांच आरंभ होने के बाद उन्हें वापस उनकी कैडर में भेजा गया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को सपोर्ट करने वाले ओवरग्राउंड वर्कर्स के खिलाफ एक मुकदमा 6 नवंबर 2021 को दर्ज किया था। इस मामले में आरोप था कि ये ओवर ग्राउंड वर्कर आतंकवादी संगठनों को हर तरह की सुविधाएं मुहैया करा रहे हैं जिसके चलते आतंकवादी कई बार अपने नापाक इरादों में कामयाब भी हो रहे हैं। इस मामले की जांच के दौरान नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने आरोपियों को गिरफ्तार भी किया था हिमाचल प्रदेश काडर की आईपीएस अधिकारी अरविंद दिग्विजय नेगी उस समय एजेंसी में बतौर एसपी तैनात थे।
आरोप है कि इस मामले से संबंधित अनेक महत्वपूर्ण जानकारियां इन ओवरग्राउंड वर्करों के जरिए आतंकवादी संगठन तक पहुंची। जिसके बाद इस मामले की जांच की गई की आखिर यह जानकारियां आतंकवादी संगठन तक कैसे पहुंच गई। एनआईए के अधिकारी के मुताबिक इस मामले में शक की सुई आईपीएस अधिकारी अरविंद दिग्विजय नेगी की तरफ बढ़ी तब तक नेगी को एजेंसी से उनके मूल काडर हिमाचल प्रदेश भेज दिया गया था जहां नेगी बतौर एसपी शिमला में तैनात थे। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने नेगी के ठिकानों पर छापेमारी की और मामले से संबंधित अनेक गोपनीय दस्तावेज उनके ठिकानों से मिले जिसके बाद नेगी को गिरफ्तार कर लिया गया।