Document

किसान आंदोलन: कृषि कानूनों के खिलाफ शनिवार को देशव्यापी चक्का जाम करेंगे किसान

6 फरवरी को देशभर में किसानों का 'चक्का जाम

प्रजासत्ता नेशनल डेस्क |
केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन शुक्रवार को जारी रहा. किसान कानूनों को वापस लेने की मांग अपनी मांग पर बरकरार हैं| वहीँ किसान आंदोलन के बीच संसद का बजट सत्र जारी है| गुरुवार को संसद में एक बार फिर किसान आंदोलन को लेकर जमकर हंगामा हुआ, जिसके बाद शाम में शुक्रवार सुबह 9 बजे तक के लिए संसद को स्थगित कर दिया गया| उधर, किसानों का आंदोलन हाई-प्रोफाइल शख्सियतों की आपस में बहस और दिल्ली पुलिस की बैरिकेडिंग के बीच जारी है

kips

किसानों नेताओं ने कल नेशनल हाई-वे और स्टेट हाईवे पर चक्का जाम (Chakka Jam) करने का ऐलान किया है। किसानों का दोपहर 12 बजे से शाम 3 बजे तक चक्का जाम का कार्यक्रम है। इस चक्का जाम के दौरान जरूरी सेवाओं वाले वाहनों को जाम से मुक्त रखा जाएगा। किसान यूनियन के नेताओं ने कहा है कि वे छह फरवरी की दोपहर 12 बजे से अपराह्र तीन बजे तक सड़कों पर ट्रैफिक बंद करने का काम करेंगे। वहीं राकेश टिकैत ने कहा कि दिल्ली में आंदोलन नहीं होगा। दिल्ली के बाहर पूरे देश में 3 घंटे तक जाम रहेगा।

इससे पहले, किसान संगठनों ने कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध जताते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शहादत दिवस पर 30 जनवरी को दिनभर का उपवास रखा था। किसान संगठनों ने दिल्ली में 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड भी निकाली थी। हालांकि ट्रैक्टर रैली में काफी हंगामा हुआ था। किसानों का आरोप है कि उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्रीय बजट 2021-22 में किसानों की अनदेखी की गई है और उनके विरोध स्थलों पर पानी और बिजली की सप्लाई बंद कर दी गई है। इसी कड़ी में सिंघु बॉर्डर पर आज संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होने वाली है जिसमें किसान आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे।

आपको बता दें कि इन कानूनों को लेकर किसानों की सरकार के बीच अबतत 11 दौर की वार्ता हो चुकी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकलकर पाया है।कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर नए कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक स्थगित करने का प्रस्ताव दिया, लेकिन किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी और इन कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग पर अड़े हैं।

आपको बता दें कि कड़ाके की सर्दी और गिरते पारे के साथ-साथ कोरोना के खतरों के बीच 26 नवंबर से बड़ी तादाद में किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे हैं। लेकिन किसान और सरकार के बीच अबतक इस मसले पर अबतक कोई सहमति नहीं बन पाई है। बड़ी तादाद में प्रदर्शनकारी किसान सिंधु, टिकरी, पलवल, गाजीपुर सहित कई बॉर्डर पर डटे हुए हैं। इस आंदोलन की वजह से दिल्ली की कई सीमाएं सील हैं।

Tek Raj

संस्थापक, प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया प्रजासत्ता पाठकों और शुभचिंतको के स्वैच्छिक सहयोग से हर उस मुद्दे को बिना पक्षपात के उठाने की कोशिश करता है, जो बेहद महत्वपूर्ण हैं और जिन्हें मुख्यधारा की मीडिया नज़रंदाज़ करती रही है। पिछलें 9 वर्षों से प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया संस्थान ने लोगों के बीच में अपनी अलग छाप बनाने का काम किया है।

Latest Stories

Watch us on YouTube