पालमपुर।
हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शान्ता कुमार ने कहा कि भारत के एक बड़े दवाई उद्योग पर एक बहुत बड़ा अंतरराष्ट्रीय खतरा मडराने लगा है। भारत में बनी दवाई से अफ्रीका के गाम्बिया देश में 66 बच्चे मर गये। यह दवाई हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की एक फर्म ने बनाई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस सम्बंध में कठोर कार्यवाही करनी की बात की है।
उन्होंने कहा कि जैनरिक दवाई बनाने में भारत को दुनिया की फार्मेसी कहा जाता है। भारत से करोड़ो रू0 की दवाईयों का निर्यात होता है। भारत में बनने वाली दवाईयों का 40 प्रतिशत हिमाचल प्रदेश में बनता है। देश के करोड़ों लोगों को इन उद्योगों में रोजगार मिलता है और करोड़ो रू0 के निर्यात से भारत को लाभ पहुंचता है।
शान्ता कुमार ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कड़ी कार्यवाही करने की बात कहने से पूरी दुनिया में भारत के दवाई उद्योग की बदनामी हो रही है। यह पहला मौका नही है जब भारत में बनी दवाईयों के सैंपल नाकारा पाये गये। हर वर्ष बहुत सी दवाईयों के सैंपल फेल होते है। दुर्भाग्य यही है कि दोषी कम्पनियों को सजा नही होती। यह जान कर मुझे बहुत दु:ख हुआ कि 2020 में हिमाचल प्रदेश में बनी एक दवाई से जम्मू-कश्मीर में कुछ लोग मरे थे। परन्तु उस कम्पनी के विरूद्ध अभी तक सख्त कार्यवाही नही हुई हैं।
उन्होंने भारत सरकार , हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की सरकारों से आग्रह किया है कि देश को इस बदनामी से बचाने के लिए और भारत के बढ़ते और फलते फूलते उद्योग की रक्षा करने के लिए दोषियों के विरूद्ध अतिशीघ्र सख्त कार्यवाही की जाए।