प्रजासत्ता नेशनल डेस्क|
पेट्रोल के दाम 100 रूपये पार कर चुके हैं, इसके लिए जिम्मेवार कौन है| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बीते दिनों मीडिया में दिए गए बयान जिसमें उन्होंने कहा कि मैं किसी को दोष नहीं देता, पिछली सरकारों ने अगर ध्यान दिया होता कि हमारे देश में कच्चे तेल का उत्पादन बढाया जाए तो आज मध्यम वर्ग पर जो बोझ पड रहा है वह नही होता|
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुताबिक पेट्रोल और डीजल के दाम इसलिए ज्यादा है क्योंकि देश में तेल का उत्पादन कम है, अगर देश में कच्चे तेल का उत्पादन कम होता तो पेट्रोल और डीजल के दाम कम किये जा सकतें थे| दूसरी बात यह है कि कच्चा तेल बाहर से आता है जिससे देश में पेट्रोल और डीजल तैयार किया जाता है, अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम बढ़ेंगे तो देश में तेल के दाम भी बढ़ेंगे|
इन्ही सभी बातों को ध्यान में रखते हुए हम यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि पूर्व सरकारों के समय देश में कितना उत्पादन होता था और जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तबसे कितना उत्पादन बढ़ा| यह भी जानने की बात है क्या हमारे देश में कच्चे तेल का आयात घटा है या बढ़ा है| यहाँ बता दें कि कुछ समय पहले सरकार ने कहा था कि हमारे देश में कच्चे तेल का आयत जितना होता है उसका 10प्रतिशत आयात हम 2022 तक कम करेंगे|
अगर वर्ष 2013-14 की बात करें तो जिस समय देश में यूपीए की सरकार थी तो तब के आंकड़ों के मुताबिक देश में कच्चे तेल का आयात 83 प्रतिशत था बाकि 17 प्रतिशत में तैयार किया जाता था| वहीँ अगर बात करे वर्ष 2019-20 की जब देश में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार थी तब आंकड़ों के मुताबिक देश में कच्चे तेल का आयात 83 से बढ़ कर 88 प्रतिशत हो गया| जहाँ सरकार कच्चे तेल का आयात कम करने की बात करती थी वहीँ यह बढ़ जाना अपने आप में कई सवाल खड़े करता है| उसमे से एक सवाल यह भी क्या देश में कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ा है?
आपको बता दें कि सरकारी आंकड़ो के मुताबिक वर्ष 2013-14 में देश में कच्चे तेल का उत्पादन 37.8 मिलियन टन हुआ, वहीँ अगर वर्ष 2019-20 की बात करें तो वह 32.2 मिलियन टन हुआ| यानि वर्ष 2019-20 में वर्ष 2013-14 की तुलना में 14.8 प्रतिशत उत्पादन कम हुआ|अगर देश में पिछले साल फरवरी 2020 से लेकर फरवरी 2021 तक की बात करें तो पेट्रोल का दाम एक साल में 24-25% बढ़ें हैं| वहीँ अगर कच्चे तेल के दामों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बात करें तो जहाँ आयात किए जा रहे कच्चे तेल का दाम 1% कम हुए हैं|
ऐसे में जब भारत में पेट्रोल-डीज़ल की कीमतें नया रिकॉर्ड बना रही हैं क्या आपको पता है कि अप्रैल 2014 में मनमोहन सरकार में क्रूड ऑयल 108 डॉलर प्रति बैरल था| तब पेट्रोल 71.51 रुपये प्रति लीटर और डीजल 57.28 रुपये प्रति लीटर था| आज फरवरी 2021 मोदी सरकार में क्रूड ऑयल की कीमत 61 डॉलर प्रति बैरल है| इस समय दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 89.29 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 79.70 रुपये प्रति लीटर है|
मोदी सरकार के 6 सालों में पेट्रोल-डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी को कुल 12 बार बढ़ाया जा चुका है, जबकि घटाया सिर्फ 2 बार गया है| पहली बार सरकार ने अक्टूबर 2017 में एक्साइज ड्यूटी 2 रुपये घटाई थी| दूसरी बार अक्टूबर 2018 में 2 रुपये एक्साइज ड्यूटी घटाई गई थी|
मगर इसके अलावा सरकार ने हर बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई ही है| मई 2020 में एक साथ पेट्रोल पर 10 रुपये और डीजल पर 13 रुपये एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी| जिससे केंद्र को जाने वाले एक्साइज ड्यूटी 32.98 और डीजल पर 31.83 हो गई|
पेट्रोल-डीजल की महंगाई के लिए कुल मिलाकर केंद्र सरकार की तरफ से लगाई जा रही एक्साइज ड्यूटी कटघरे में है| ये बात सच है कि जितनी एक्साइज ड्यूटी केंद्र सरकार अब लगा रही है,उतनी कभी किसी कार्यकाल में नहीं लगाई गई थी| यूपीए सरकार में डीजल पर वैट 3 रुपये 56 पैसे थे, जो अब करीब 32 रुपये है|