चंबा|
भारत तंबाकू आधारित उत्पादों का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और उत्पादक है। भारत न केवल सबसे बड़े तंबाकू उत्पादक देशों में से एक है बल्कि विश्व में तंबाकू के सेवन से होने वाली मौतों के 1/6वें हिस्से का ज़िम्मेदार भी है। इतना ही नहीं किशोरों में तंबाकू के सेवन का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है ऐसे समय में सिगरेट पर टैक्स की बढ़ोतरी करना एक सराहनीय कदम है । भारत में धूम्रपान करने के कारण हर साल औसतन 10 लाख लोगों की जान जाती है | इस आंकड़ें में पिछले 30 वर्षों में 58.9 फीसदी का इजाफा हुआ है, धूम्रपान से होने वाली मौतों में सिगरेट अपना अहम रोल निभाता है भारत में पिछले कई वर्षों से यह मांग उठ रही थी कि भारत में तंबाकू पदार्थों पर कर की बढ़ोतरी की जाए ।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में सिगरेट पर टैक्स बढ़ाए जाने का ऐलान कर दिया । वित्त मंत्री ने सिगरेट पर 16 फीसदी टैक्स लगाने की घोषणा की । सिगरेट पर राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक शुल्क (NCCD) को अब 16 फीसदी तक बढ़ा दिया गया है । सन्नी सूर्यवंशी ने कहा है कि तंबाकू-सिगरेट पर टैक्स बढ़ाने से सरकार नागरिकों का बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित कर रही है साथ ही 2025 तक पांच ट्रिलियन डॉलर यानी करीब चार लाख 8 हजार 870 करोड़ अरब रुपये की इकोनॉमी के विजन को पूरा करने में भी मदद मिलेगी ।
भारत सरकार ने मई 2003 में राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कानून पारित किया था। इस कानून को “सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद” (विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय और वितरण का विनियमन) अधिनियम का नाम दिया गया। बात सामने आती है कि तंबाकू नियंत्रण क्यों आवश्क है? तंबाकू सेवन के कारण चिकित्सा खर्च में वृद्धि होती है और घरेलू आय में कमी आती है, जिससे गरीबी बढ़ती है।
उल्लेखनीय है भारत में तंबाकू प्रयोग की आर्थिक लागत अनुमानतः 1,04,500 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष है। इसकी रोकथाम का एक महत्वपूर्ण कार्य यह भी हो सकता है कि नई पीढ़ी के इस्तेमाल में लाने से पहले इसमें लगाएं करों में अत्यधिक वृद्धि की जाए जो केंद्र सरकार ने इस वर्ष किया और देश की युवा पीढ़ी को नशे से दूर रखने के लिए उचित प्रयास किया है ।