प्रजासत्ता ब्यूरो|
भारतीय जनता पार्टी के आलाकमान ने डॉ. राजीव बिंदल को एक बार फिर बीजेपी ने हिमाचल की कमान सौंपी है। इससे पहले बिंदल को जनवरी 2020 में प्रदेश अध्यक्ष का जिम्मा सौंपा गया था।
पिछली बार बिंदल ने प्रदेश अध्यक्ष बनने के लिए हिमाचल विधानसभा का अध्यक्ष पद छोड़ा था, लेकिन अपनी नियुक्ति के साढ़े 4 महीने के भीतर राजीव बिंदल ने प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।
इसके बाद जुलाई 2020 में कोरोना काल के बीच शिमला संसदीय क्षेत्र के सांसद सुरेश कश्यप को हिमाचल बीजेपी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
बता दें कि स्वास्थ्य विभाग में उपकरणों की खरीद से जुड़े भ्रष्टाचार के कथित मामले में नाम आने पर बिंदल ने पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि बाद में प्रदेश सरकार से उन्हें क्लीन चिट मिल गई थी। वहीं 3 साल के भीतर दूसरी बार बिंदल को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी गई है। हालाँकि बीजेपी ने हिमाचल के लिए नए अध्यक्ष के तौर पर आश्चर्यजनक ढंग से डॉ. राजीव बिंदल की नियुक्ति कर हिमाचल बीजेपी की सियासी नब्ज़ पकड़ने और दु:खी हुई नब्ज़ को पकड़कर सही इलाज करने की रणीनीति बनाई हैं।
डॉ. राजीव बिंदल पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल के नजदीकी माने जाते हैं। डॉ. बिंदल धूमल सरकार में स्वास्थ्य मंत्री के पद पर भी रहे। राजनितिक जानकारों की मने तो बिंदल की नियुक्ति से हाशिए पर गया धूमल गुट एक बार फिर पार्टी में सक्रिय होगा। हालांकि डॉ. बिंदल के सामने सबसे बड़ी चुनौती गुटों को एक्टिव न कर पूरी पार्टी को ही एक्टिव करने की रहने वाली है। क्योंकि लोकसभा चुनाव में एक साल से भी कम समय रह गया है।
वहीँ बिंदल को पहले उपचुनाव और फिर विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद हतोत्साहित कार्यकर्ताओं में जोश भरने का भी काम करना होगा। क्योंकि 8 दिन बाद दो मई को शिमला नगर निगम के चुनाव हैं। यहां भी पार्टी की स्थिति इतनी मजबूत नजर नहीं आ रही। यह देखना भी दिलचस्प रहने वाला है कि इन आठ दिनों में डॉ. बिंदल पार्टी को चुनाव जिताने के लिए कौन-सी दिशा देते हैं।