सोलन जिले में मिलावटी हेरोइन ‘चिट्टा’ के बाद हाल ही में मेथमफेटामाइन की जब्ती ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है कि यह मादक पदार्थ भी अब हिमाचल में प्रदेश में पैठ बना रहा है।
पुलिस ने कहा कि बरामद किये गये मादक पदार्थ की मात्रा कम है, लेकिन यह पहली बार है जब राज्य में इस मादक पदार्थ को जब्त किया गया है।
सोलन के पुलिस अधीक्षक वीरेंद्र शर्मा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “मेथ की जब्ती एक गंभीर मुद्दा है क्योंकि हिमाचल में इस महंगे मादक पदार्थ के पहुंचने का अर्थ है कि ‘चिट्टा’ की उपलब्धता ने राज्य को मादक पदार्थ के बाजार में बदल दिया है, और अब नई नशीली दवाएं लाई जा रही हैं।”
पंजाब के खरड़ के दो लोगों समेत तीन लोगों को पिछले हफ्ते परवाणू में 1.56 ग्राम मेथमफेटामाइन या मेथ और 22 ग्राम ‘चिट्टा’ के साथ गिरफ्तार किया गया था।
उन्होंने कहा कि तीनों परवाणू में 10 हजार रुपये में किसी को ड्रग्स सौंपने आए थे।
‘ग्लोबल ड्रग सर्वे’ के अनुसार, मेथ को अन्य दवाओं की तुलना में अधिक घातक माना जाता है। इसके औसतन 4.8 प्रतिशत उपयोगकर्ताओं को खपत के बाद आपातकालीन चिकित्सा देने की आवश्यकता होती है।
तुरंत नशा करने वाली मेथ का रेव पार्टियों में इस्तेमाल किया जाता है और उन्हें और अधिक नशे की लत बनाने के लिए अन्य दवाओं के साथ मिलाया जाता है।
मेथ की बरामदगी इस बात का संकेत है कि या तो रेव पार्टियां आयोजित की जा रही हैं या फिर मिलावट के लिए दवा का इस्तेमाल किया जा रहा है। राज्य न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला (एसएफएसएल) के पूर्व निदेशक अरुण शर्मा ने कहा कि मामला जो भी हो, स्थिति गंभीर है।
हिमाचल प्रदेश नशा निवारण बोर्ड के पूर्व संयोजक सह सलाहकार ओ.पी. शर्मा ने कहा कि पहले, मेथ को अन्य सिंथेटिक पदार्थों के साथ ‘चिट्टा’ में मिलाया जाता था, लेकिन अब यह क्रिस्टल के रूप में आ रहा है जो अधिक खतरनाक है और अंतर-एजेंसी समन्वय के माध्यम से मादक पदार्थों की तस्करी की गतिशीलता को समझने और इसकी जड़ों तक पहुंचने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, “मेथ की बरामदगी एक संकेत है कि तस्करों का लक्ष्य स्थानीय स्तर पर चिट्टा का उत्पादन करना हो सकता है।”
– ख़बर माध्यम भाषा-