धर्मेंद्र सूर्या। तेलका।
हिमाचल प्रदेश में भले ही सुख की सरकार आई हो पर नडल वासियों पर अभी भी दु:ख के बादल छाए हुए हैं। हिमाचल में सुक्खू की सरकार आने बाद विकास की बयार बह रही है, लेकिन यह बयार सिर्फ शहरों व उसके आसपास के क्षेत्रों तक ही सीमित है। इसका उदाहरण चम्बा जिले की सलूणी तहसील है।
चम्बा कस्बे में तो सड़कों की स्थिति कुछ हद तक ठीक है, लेकिन कस्बे से दूरदराज के इलाकों में आज भी सड़क की सुविधा नदारद हैं। ग्राम पंचायत नडल के वार्ड नगौड खाडिउल निवासी 18 वर्ष के युवक को पीठ पर लादकर अस्पताल ले जाते हुए दिखे। खाडिउल निवासी दिनेश कुमार बुखार हो जाने की वजह से गांव वासियों ने पीठ पर उठाकर लगभग 6 किलोमीटर का सफर पैदल कर सड़क तक पहुंचाया। सड़क से एंबुलेंस के सहारे चंबा ले जाया गया।
कुलदीप कुमार निवासी नडल का कहना है -लोगों ने कई बार सरकार से माँग की मगर सड़क का केवल आश्वासन मिला सड़क का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका। हमारी सड़क कब बनेगी और कब लोगों को अपने गांव तक पैदल चलने से छुटकारा मिलेगा। सुविधा के अभाव में किसी व्यक्ति के बीमार होने पर उसे अस्पताल पहुंचाने के लिए आनन-फानन में पालकी की व्यवस्था करनी पड़ती है। अगर मौके पर घर में सदस्य न हो तो लोगों को एकत्र करने में भी परेशानी होती है।
गांव के युवाओं को आवाज लगाकर इकट्ठा करना पड़ता है। गांव में न तो सड़क है और न ही स्वास्थ्य सुविधा। ऐसे में अगर कोई बीमार हो जाए तो उसे खडीउल से भुनाड तक पालकी में पहुंचाना गांव के लोगों के लिए दिनचर्या बन गई है। उबड़ खाबड़ रास्ते पर बारिश के बाद फिसलन से रोगी को बचाते हुए सड़क तक पहुंचाना किसी चुनौती से कम नहीं है। अगर थोड़ी सी लापरवाही हुई तो मरीज के साथ ही पालकी को कंधा देने वाले युवाओं को भी नुकसान पहुंच सकता है। वार्ड नगौड के लोगों ने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द उन्हें सड़क की सुविधा मुहैया करवाई जाए।