प्रजासत्ता ब्यूरो |
Himachal Politics: कांग्रेस हाईकमान द्वारा हिमाचल सरकार व संगठन को अचानक दिल्ली बुलाए जाने की सुर्ख़ियों से हिमाचल में सियासी हलचल बढ़ने लगी है। जानकारी के अनुसार कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह, मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू, डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री सहित सभी कैबिनेट मंत्रियों को दिल्ली आने को बोला गया है। इसके अलावा कांग्रेस के 40 विधायकों में से केवल दो को ही दिल्ली बुलाया गया है।
राजनितिक जानकारों के अनुसार दिल्ली दरबार में कांग्रेस हाईकमान के साथ हिमाचल के नेताओं की बैठक में सत्ता और संगठन के बीच समन्वय के मामले पर भी चर्चा होगी। इसी लिए हाल ही में नाराज चल रहे कांग्रेस के विधायक राजेंद्र राणा और सुधीर शर्मा को भी इस बैठक में उपस्थित होने के लिए कहा गया है, और बाकि सभी विधायकों को इस बैठक से दूर रखा गया है। क्योंकि साल में दो बार मंत्रिमंडल का विस्तार होने पर इन्हें मंत्री नहीं बनाया गया है। नाराजगी दूर करने के लिए इन्हें जिम्मेवारी दी जा सकती है।
दिल्ली दरबार से आए अचानक इस फरमान ने हिमाचल के भीतर नई सियासी हलचल को पैदा कर दिया है। बता दें कि हाल ही में कांग्रेस ने दो नए चेहरों को कैबिनेट में शामिल किया है लेकिन उन्हें अभी तक उनके विभागों का आबंटन नहीं किया है। हालांकि एक मंत्री पद अभी तक खाली पड़ा हुआ है और यही वजह है कि विवाद भी खासा खड़ा हो चुका है। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस हाईकमान सरकार व संगठन के बीच चल रही अंदरूनी कलह का निपटारा करना चाहता है।
बता दें कि कांगेस की प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह कई मंचों पर ऐसे बयान दे चुकी है जिससे ऐसा लगता है कि सरकार व संगठन के बीच सबक कुछ ठीक नहीं है। पिछले काफी समय से हाईकमान के समक्ष संगठन के सक्रिय पदाधिकारियों को बड़ी जिम्मेवारी देने के अलावा संगठन में बदलाव का मामला भी उठा चुकी है। वहीँ मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पहले ही कह चुके है कि जिन कार्यकर्ताओं ने 25 साल से पार्टी का झंडा उठाया है। उन्हें सरकार में जगह दी जाएगी। ऐसे में इस बैठक में यह मामला फिर से उठ सकता है।
राजनितिक जानकारों की माने तो लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस हिमाचल में विधानसभा चुनाव के दौरान दी गई गारंटीयों को पूरा करने को लेकर भी चर्चा हो सकती है। क्योंकि सत्ता में आते ही गारंटीयों को पूरा करने की बात कही गई थी लेकिन एक वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के बाद महज ओल्ड पेशन की गारंटी ही लागू हो पाई है जबकि अन्य गारंटियों को पांच साल में पूरा करने की बात अब हर मंच पर हो रही है, ऐसे में लोकसभा चुनावों से ठीक पहले सुख की सरकार के खिलाफ लोगों का मोहभंग होने की चर्चा दिल्ली तक पहुँच गई है।