प्रजासत्ता ब्यूरो |
Breaking News: कारोबारी को धमकाने के मामले में पूर्व डीजीपी संजय कुंडू को डीजीपी पद से हटाए जाने पर उन्हें सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाते हुए संजय कुंडू को डीजीपी पद पर बने रहने के निर्देश दिए। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हिमाचल हाईकोर्ट के DGP संजय कुंडू को ट्रांसफर करने के आदेशों को रद्द कर दिया है।
सुप्रीमकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने हिमाचल हाईकोर्ट के प्रारंभिक आदेशो पर रोक लगाते हुए तीखी टिप्पणी की है।
शीर्ष अदालत ने कहा, हालांकि, इस स्तर पर उच्च न्यायालय के उस आदेश को बरकरार रखना अनुचित होगा, जिसमें निर्देश दिया गया है कि याचिकाकर्ता संजय कुंडू को 26 दिसंबर 2023 के आदेश के अनुपालन में डीजीपी के पद से हटा दिया जाए। इन निर्देशों के बाद अब संजय कुंडू हिमाचल पुलिस महानिदेशक पद पर बने रहेंगे।
क्या है मामला
दरअसल, उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ द्वारा 26 दिसंबर के आदेश को वापस लेने के संजय कुंडू के आवेदन को खारिज का दिया था। आवेदन को खारिज करने के एक दिन बाद उन्होंने बुधवार को शीर्ष अदालत का रुख किया था। शीर्ष अदालत के समक्ष इस मामले में मुकदमे का यह दूसरा दौर है। इससे पहले भी संजय कुंडू को डीजीपी पद से हटाने के उच्च न्यायालय के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी।
कुंडू को डीजीपी पद से हटाने का उच्च न्यायालय का आदेश 26 दिसंबर, 2023 को एक व्यापारी के मामले में पारित किया गया था, जिसने एक व्यापारिक विवाद के कारण उन्हें और उनके परिवार को धमकी देने का आरोप लगाया है। डीजीपी पर आरोप है कि उन्होंने एक वरिष्ठ वकील की ओर से दीवानी विवाद में हस्तक्षेप किया था।
कुंडू ने इसके बाद उच्चतम न्यायालय का रुख किया जिसने तीन जनवरी को उच्च न्यायालय के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी और कहा कि 26 दिसंबर के आदेश को तब तक प्रभावी नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि उच्च न्यायालय वापस लेने के आवेदन पर फैसला नहीं कर लेता। इसके बाद उच्च न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई की और नौ दिसंबर को इसे खारिज कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने सवाल किया कि कुंडू जैसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी एक निजी कंपनी के शेयरधारकों के बीच नागरिक विवाद में हस्तक्षेप कैसे कर सकते थे।
अदालत ने कुंडू को डीजीपी पद से हटाने के आदेश को रद्द करने से इनकार करते हुए कहा था कि , ‘इस आचरण को प्रथम दृष्टया उनके कर्तव्य के दायरे में नहीं कहा जा सकता है। कुंडू ने अपने बचाव में उच्च न्यायालय से कहा था कि उन्होंने अपने पुराने परिचित वरिष्ठ अधिवक्ता केडी श्रीधर द्वारा कारोबारी विवाद के बारे में बताए जाने के बाद ”नेक नीयत से और पुलिस के नेतृत्व वाली मध्यस्थता के सिद्धांतों से प्रेरित” होकर इस मुद्दे को देखा था।
शिकायतकर्ता निशांत शर्मा ने अदालत को बताया कि श्रीधर और उनके भाई डीजीपी के माध्यम से उन्हें एक निजी कंपनी में अपने और अपने पिता के शेयर बेचने के लिए मजबूर करने की कोशिश कर रहे थे। उच्च न्यायालय ने तर्क दिया कि श्रीधर एक गरीब आदमी नहीं है जो कानूनी उपायों का लाभ नहीं उठा सकता है।