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Himachal Political Crisis: हिमाचल में BJP के 9 विधायकों मिला नोटिस, क्या हो जाएंगे अयोग्य…?

Himachal Political Crisis

प्रजासत्ता ब्यूरो |
Himachal Political Crisis: हिमाचल प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी भाजपा के बीच राजनीतिक गतिरोध लगातार जारी है और निकट भविष्य में भी इसके सुलझने के कोई आसार नज़र नहीं आ रहे हैं। राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में वोट करने के बाद उपजे विवाद में कांग्रेस ने अपने 6 बागी विधायकों को निष्काषित कर दिया है। इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नौ विधायकों को शिकायत के आधार पर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इस मामले में 9 विधायकों पर अयोग्यता का भी खतरा मंडरा रहा है।

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दरअसल नाहन से कांग्रेस विधायक अजय सोलंकी ने विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सदन के कामकाज पर नियम 79 के तहत स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया के समक्ष शिकायत दर्ज कराई है। जिसमे बजट सत्र के दौरान सदन के अंदर और अध्यक्ष के चेंबर में कथित तौर पर हिंसा और अनुशासनहीनता में शामिल होने वाले भाजपा के नौ विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

जानकारी के मुताबिक शिकायत के आधार पर नौ भाजपा विधायकों जिसमे ऊना से सतपाल सत्ती, नाचन से विनोद कुमार, चुराह से हंसराज, बंजार से सुरेंद्र शौरी, सुलह से विपिन परमार, त्रिलोक जम्वाल, बिलासपुर, बल्ह से इंद्र सिंह गांधी, आनी से लोकेंद्र कुमार और करसोग से दीपराज को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। नौ भाजपा विधायकों को 18 मार्च तक लिखित रूप में या अपनी व्यक्तिगत उपस्थिति के माध्यम से अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा गया था।

सोलंकी ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि इन भाजपा विधायकों ने सदन के अंदर और अध्यक्ष के कक्ष में भी हंगामा किया था, विधानसभा कर्मचारियों से महत्वपूर्ण कागजात छीने और उन्हें सदन में फाड़ा दिया। जब आंदोलनकारी विधायकों को सदन से बाहर निकालने का आदेश जारी किया गया तो उन्होंने मार्शलों के साथ धक्का-मुक्की भी की। कांग्रेस विधायक ने कहा कि इस पूरे प्रकरण की वीडियो क्लिपिंग विधानसभा रिकॉर्ड में भी उपलब्ध है और विधायकों का व्यवहार अक्षम्य है। इस मामले पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि इन विधायकों के खिलाफ संविधान के अनुच्छेद 194 के तहत सदन की अवमानना ​के तहत कार्यवाही की जाए।

राजनीतिक जानकारों के अनुसार अगर नौ भाजपा विधायकों ने जवाब नहीं दिया तो विधानसभा अध्यक्ष उन्हें निलंबित कर सकते हैं या अयोग्य घोषित कर सकते हैं। प्रदेश में इस समय जिस तरह के हालात बने हुए हैं ऐसे में भाजपा विधायकों को निलंबित अयोग्य घोषित होने से राजनितिक सदगर्मियाँ और बढ़ सकती है। विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर पहले ही इसे बदले की राजनीति की कार्रवाई करार दे चुके हैं । उन्होंने कहा है कि अगर जरूरी हुआ तो उनकी पार्टी इस मामले में कानूनी विकल्प तलाशेगी।

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