India America Relations: अमेरिका ने पहले तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किए जाने के बाद टिप्पणी की थी। इसे लेकर भारत ने विरोध भी जताया था। लेकिन, मानने की जगह अब उसने कांग्रेस के फ्रीज बैंक अकाउंट्स का मुद्दा उठा दिया है। बता दें कि भारत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी (US On Arvind Kejriwal Arrest) को लेकर की गई टिप्पणी पर विरोध दर्ज कराने के लिए एक वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक को तलब किया है।
वहीँ अमेरिका ने बुधवार को कहा कि वह निष्पक्ष, पारदर्शी, समयबद्ध कानूनी प्रक्रियाओं को प्रोत्साहित करता है और “हमें नहीं लगता कि किसी को इस पर आपत्ति होनी चाहिए.” अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा, “हम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी सहित इन कार्रवाइयों पर बारीकी से नजर रखना जारी रखेंगे।
#WATCH | On India summons US diplomat over comments on Delhi CM Arvind Kejriwal’s arrest and freezing of Congress bank accounts, US State Department Spokesperson Matthew Miller says, “We continue to follow these actions closely, including the arrest of Delhi CM Arvind Kejriwal.… pic.twitter.com/dWSDumsZXf
— ANI (@ANI) March 27, 2024
मिलर ने विदेश मंत्रालय की प्रेस वार्ता के के दौरान भारत द्वारा नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास के कार्यवाहक उपप्रमुख ग्लोरिया बरबेना को तलब करने के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी के बैंक खातों को ‘फ्रीज’ करने पर पूछे गए एक सवाल का भी जवाब दिया।
उन्होंने कहा, “हम कांग्रेस पार्टी के आरोपों से भी अवगत हैं कि कर अधिकारियों ने उनके कुछ बैंक खातों को इस तरह से फ्रीज कर दिया है कि आगामी चुनावों में प्रभावी ढंग से प्रचार करना चुनौतीपूर्ण हो जाएगा। हम इनमें से प्रत्येक मुद्दे के लिए निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर कानूनी प्रक्रियाओं को प्रोत्साहित करते हैं। ”
मिलर ने कहा कि मैं कोई डिप्लोमैटिक बात नहीं कहूंगा लेकिन जो हमने सार्वजनिक रूप से कहा है हम उसपर टिके हुए हैं। हमें नहीं लगता कि किसी को इस पर आपत्ति करनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि अमेरिकी विदेश विभाग ने मंगलवार को कहा था वह अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की रिपोर्ट्स की मॉनिटरिंग कर रहा है। इसे लेकर उसने भारत सरकार से अरविंद केजरीवाल के मामले में सही और समय से कानूनी प्रक्रिया अपनाने के लिए कहा था। भारत ने इस पर सख्त आपत्ति जताई थी।
मंत्रालय ने कहा, “कूटनीति में, राज्यों से दूसरों की संप्रभुता और आंतरिक मामलों का सम्मान करने की अपेक्षा की जाती है। फैलो डिप्लोमैट्स के मामले में यह जिम्मेदारी और भी अधिक है, वरना यह अस्वस्थ मिसाल कायम कर सकता है। ”
विदेश मंत्रालय ने कहा, “भारत की कानूनी प्रक्रियाएं एक स्वतंत्र न्यायपालिका पर आधारित हैं जो उद्देश्यपूर्ण और समय पर परिणाम के लिए प्रतिबद्ध है. उस पर आरोप लगाना अनुचित है। ”
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