प्रजासत्ता नेशनल डेस्क |
Baba Ramdev Supreme Court Hearing Updates: देश की सर्वोच्च अदालत बाबा रामदेवा और आचार्य बालकृष्ण को माफ करने के मूड में नहीं दिख रहा है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (10 अप्रैल, 2024) को पंतजलि के खिलाफ दर्ज भ्रामक विज्ञापन से जुड़े मामले में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ अवमानना याचिका पर सुनवाई की।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण मौजूद रहे। दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें दी और उन्हें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रवैया दिखाया। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती टिप्पणी करते हुए कहा कि रामदेव जी आपकी माफी स्वीकार नहीं। हम आपका माफीनामा हलफनामा स्वीकार नहीं कर रहे।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस हिमा कोहली ने कहा, “हलफनामा हमारे सामने आने से पहले मीडिया में प्रकाशित हो गया। इसे प्रचार के लिए दाखिल किया गया या हमारे लिए?” इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर के कंडक्ट पर भी नाराजगी जताई।
सुनवाई के दौरान रामदेव और बालकृष्ण के वकील मुकुल रोहतगी ने अदालत के सामने उनका पक्ष रखते हुए कहा कि, “हमने 6 अप्रैल को ही हलफनामा दाखिल कर दिया था। रजिस्ट्री ने शायद इसे जजों के सामने नहीं रखा।” इसके बाद रोहतगी ने हलफनामे का अंश पढ़कर सुनाया जिसमें बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की ओर से माफी मांगी गई है। जजों ने इसे देखकर कहा कि इस तरह से सारी प्रक्रिया को हल्के में लिया गया है। रोहतगी ने सुनवाई टालने का अनुरोध किया ताकि यह देखा जा सके कि रामदेव और बालकृष्ण को और क्या लिख कर देने की जरूरत है।
जस्टिस अमानुल्लाह ने सुनवाई के दौरान कहा, “कोर्ट से झूठ बोला गया। इसके बाद जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि हम इस हलफनामे को स्वीकार करने से मना करते हैं। सुनवाई के दौरान जस्टिस कोहली ने कहा कि हम कितनी बार समय दें? मामला सुप्रीम कोर्ट में आने से पहले उत्तराखंड सरकार ने जब आपको विज्ञापन रोकने को कहा था तो आपने उनसे भी कहा था कि कानूनन आपके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकती। क्या आपको कानून नहीं पता था?
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान उत्तराखंड सरकार को भी कड़ी फटकार लगाई। जजों ने कहा कि केंद्र सरकार ने 2020 में मामला उत्तराखंड सरकार को भेजा था, लेकिन उत्तराखंड के अधिकारियों ने इस मामले में निष्क्रियता दिखाई। अब उन अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए जिन्होंने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की।
कोर्ट ने सरकार से पूछा कि ड्रग कंट्रोलर और लाइसेंसिंग ऑफिसर की जिम्मेदारी क्या है? क्यों न कर्तव्य में लापरवाही बरतने के लिए इन अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया जाए। जानबूझकर आदेशों की अवेहलना की जा रही है, इसलिए कड़ी कार्रवाई के लिए आरोपी तैयार रहें। केस की अगली सुनवाई अब 10 अप्रैल को होगी।
बता दें कि मामले की पिछली सुनवाई 2 अप्रैल को हुई थी। उस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को फटकार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि तीनों ने गंभीर और संवदेनशील मुद्दों का मजाक बना रखा है। रोक लगाने के बावजूद, एक करोड़ जुर्माना लगाने की चेतावनी देने के बावजूद गलती हुई। इस पर वे क्या कहना चाहेंगे? क्यों न इस बार कड़ी कार्रवाई करके सबक सिखाया जाए, इसके बाद ही मामला समझ आएगा।
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