Teachers Day 2024: शिक्षक ही विद्यालय और शिक्षा पद्धति की वास्तविक गत्यात्मक शक्ति होते हैं। यह सत्य है कि विद्यालय भवन, पाठ्य सहगामी क्रियाएं, निर्देशन कार्यक्रम, पाठ्य पुस्तकें आदि सभी वस्तुएं शैक्षिक कार्यक्रम में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं, लेकिन जब तक इनमें अच्छे शिक्षकों द्वारा जीवन शक्ति प्रदान नहीं की जाएगी, तब तक वे निरर्थक रहेंगी। शिक्षक ही वह शक्ति है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आने वाली पीढ़ियों पर प्रभाव डालती है।
शिक्षक राष्ट्रीय और भौगोलिक सीमाओं को पार कर विश्व व्यवस्था और मानव जाति को उन्नति के पथ पर अग्रसर करता है। अतः यह कहा जा सकता है कि मानव समाज और देश की उन्नति उत्तम शिक्षकों पर निर्भर है। शिक्षक राष्ट्र के भाग्य-निर्णायक हैं। यह कथन प्रत्यक्ष रूप से सत्य प्रतीत होता है, लेकिन अब इस बात पर अधिक बल देने की आवश्यकता है कि शिक्षक ही शिक्षा के पुनर्निर्माण की महत्वपूर्ण कुंजी हैं।
माध्यमिक शिक्षा आयोग ने अपने प्रतिवेदन में लिखा कि अपेक्षित शिक्षा के पुनर्निर्माण में सबसे महत्वपूर्ण तत्व शिक्षक होते हैं—उनके व्यक्तिगत गुण, उनकी शैक्षिक योग्यताएं, उनका व्यावसायिक प्रशिक्षण और उनकी स्थिति जो वे विद्यालय तथा समाज में ग्रहण करते हैं। विद्यालय की प्रतिष्ठा और समाज के जीवन पर शिक्षक का प्रभाव निस्संदेह उन शिक्षकों पर निर्भर करता है जो उस विद्यालय में कार्यरत हैं। इस प्रकार, शिक्षक का महत्व समाज और शिक्षा पद्धति दोनों में स्पष्ट है।
वस्तुतः शिक्षक उन भावी नागरिकों का निर्माण करता है जिनके ऊपर राष्ट्र के उत्थान और प्रगति का भार होता है। शिक्षक वह धुरी है जिसके चारों ओर सम्पूर्ण शिक्षा प्रणाली घूमती है। आदर्श शिक्षक को मनुष्यों का निर्माता, राष्ट्र निर्माता, शिक्षा-पद्धति की आधारशिला, समाज को गति प्रदान करने वाला आदि सब कुछ माना गया है।
साधारणतः एक आदर्श शिक्षक में बालकों को समझने की शक्ति, उनके साथ उचित रूप से कार्य करने की क्षमता, शिक्षण योग्यता, कार्य करने की इच्छा शक्ति और सहकारिता जैसे गुण अपेक्षित होते हैं। ये गुण सभी शिक्षकों में समान रूप से नहीं होते और शिक्षण हर व्यक्ति के बस की बात नहीं है।
वास्तव में, यह कार्य वह व्यक्ति कर सकता है जिसमें विशिष्ट शारीरिक, बौद्धिक, सामाजिक, नैतिक और संवेगात्मक गुण हों। शिक्षण एक मानसिक प्रक्रिया है, जिसमें मस्तिष्क का मस्तिष्क से संबंध स्थापित किया जाता है। इस संबंध की उपयुक्तता और अनुपयुक्तता बहुत कुछ शिक्षक के व्यक्तित्व पर निर्भर होती है।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने भी खेद के साथ यह कहा था कि शिक्षकों के आदर्श और व्यवहार में प्रायः समाज से मेल नहीं खाता; वे कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं। अतः एक अच्छे शिक्षक के कथनी और करनी में अंतर नहीं होना चाहिए। सफल शिक्षक के लिए जीवन शक्ति का होना आवश्यक है; यह केवल इसलिए नहीं कि इसका प्रभाव बालकों पर प्रतिबिंबात्मक रूप से पड़ेगा, बल्कि थकान से उत्पन्न बाधाओं को कम करने के लिए भी आवश्यक है।
भावी शिक्षक अपने छात्रों पर अपने व्यक्तित्व का प्रभाव डालने से अधिक उनके व्यक्तित्व को समझने और उसमें दीपशिखा को खोजने का प्रयत्न करेंगे जो उनके व्यक्तित्व को प्रकाशित करती है और उस शक्ति स्रोत को खोजेंगे जो उन्हें प्रेरित करती है।
विद्वानों का मत है कि एक अयोग्य चिकित्सक मरीज के शारीरिक हित के लिए खतरनाक होता है, लेकिन एक अयोग्य शिक्षक राष्ट्र के लिए इससे भी अधिक घातक हो सकता है, क्योंकि वह न केवल अपने छात्रों के मस्तिष्क को विकृत करता है और हानि पहुंचाता है, बल्कि उनके विकास को भी अवरुद्ध करता है और उनकी आत्मा को मरोड़ देता है। इसलिए एक अच्छे शिक्षक से अपेक्षा की जाती है कि वह अपने विषय का सदा विद्यार्थी बना रहे।
एक अच्छे शिक्षक का प्रथम गुण यह है कि वह एक अध्यापक हो और कुछ नहीं, और उसे एक शिक्षक के रूप में ही प्रशिक्षित किया जाए। उसे यह ध्यान रखना चाहिए कि जब उसने इस व्यवसाय को ग्रहण किया है, तब उसे इसमें पूर्ण निष्ठा के साथ कार्य करना चाहिए। शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षकों का कार्य एक महत्वपूर्ण निवेश है। अंतिम विश्लेषण में जो भी नीतियां निर्धारित की जाएं, उन्हें शिक्षकों द्वारा ही कार्यान्वित किया जाना होगा और ऐसा उन्हें अपने व्यक्तिगत उदाहरण तथा अपनी अध्ययन शिक्षण प्रक्रिया के माध्यम से करना होगा।
अध्यापकों का चयन और प्रशिक्षण उनकी योग्यता, गतिशीलता, कार्य की परिस्थितियां और उनके कार्य निष्पादन पर प्रभाव डालते हैं। शिक्षकों का वेतन और सेवा की शर्तें उनकी सामाजिक और व्यावसायिक दायित्वों के अनुरूप होनी चाहिए, ताकि प्रतिभाशाली व्यक्ति शिक्षण व्यवसाय की ओर आकर्षित हो सकें। शिक्षकों के उत्तरदायित्वों के मानदंड निर्धारित किए जाएं, ताकि उन्हें अच्छे कार्य निष्पादन के लिए प्रोत्साहन मिल सके।
शिक्षकों को विद्यालय में ऐसा सुंदर वातावरण निर्मित करना होगा जिसमें बालकों की छिपी प्रतिभाएं निखर सकें। यह वातावरण छात्रों को इस प्रकार से प्रभावित करे कि वे विद्यालय में जाने में खुशी का अनुभव करें। अतः शिक्षक को आज की परिस्थितियों में उत्तरदायी बनाने के लिए उसकी जवाबदेही भी सुनिश्चित की जानी चाहिए। किसी भी समाज में शिक्षकों के स्तर से उसकी सांस्कृतिक और सामाजिक स्थिति का पता चलता है।
कहा जाता है कि कोई भी राष्ट्र अपने शिक्षकों के स्तर से ऊपर नहीं हो सकता। अतः राष्ट्र के विकास और समृद्धि में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता प्रदान की गई है। भावी और आधुनिक अध्यापक को आधुनिक शैक्षिक तकनीकों और नवाचारों के साथ छात्र-केंद्रित बाल मनोविज्ञान पर आधारित शिक्षा पद्धति को अपनाते हुए विद्यार्थियों की मनोस्थितियों को समझते हुए शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को अपनाना होगा।