Himachal News: हिमाचल प्रदेश के कृषि मंत्री चंद्र कुमार (Agriculture Minister Chandra Kumar) ने मंगलवार को घोषणा की कि राज्य में जैविक गाय के गोबर (Organic Cow Dung) की खरीदारी के लिए तीन रुपये प्रति किलोग्राम की दर से निविदाएं जारी की गई हैं। इस योजना के तहत, सफल बोलीदाता गोबर के लिए बैग, परिवहन और भंडारण सुविधाएं भी मुहैया करेंगे। मंत्री ने कहा कि जैविक खेती को बढ़ावा देने के साथ-साथ किसानों की आय में सुधार के लिए कृषि क्षेत्र में हाई-टेक तकनीकों का उपयोग किया जाएगा।
चंद्र कुमार ने यह भी बताया कि कृषि को स्थिर और टिकाऊ बनाने के लिए यह जरूरी है कि एक किसान परिवार की मासिक आय 20,000 रुपये से 25,000 रुपये के बीच हो, ताकि वे बेहतर जीवन जी सकें। उन्होंने कहा, “हम जैविक गोबर खरीदने के लिए तीन रुपये प्रति किलोग्राम का प्रस्ताव कर रहे हैं। पहले कांग्रेस पार्टी ने दो रुपये प्रति किलोग्राम का वादा किया था, लेकिन हम कच्चा गोबर नहीं, बल्कि जैविक गोबर खरीदेंगे, जो पर्यावरण के लिए भी बेहतर है।”
जैविक गाय का गोबर प्राकृतिक और पोषक तत्वों से भरपूर उर्वरक है, जो मिट्टी की सेहत और पौधों की वृद्धि में मदद करता है। मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि इस गोबर को एक निर्धारित दर पर खरीदा जाएगा और जिस कंपनी को यह कार्य सौंपा जाएगा, वह बैग उपलब्ध कराएगी, गोबर को सील करके भरेगी, और परिवहन तथा भंडारण की जिम्मेदारी भी उठाएगी। इसके लिए कंपनी को प्रति किलोग्राम 4-5 रुपये का भुगतान किया जाएगा।
इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी विपणन एवं उपभोक्ता संघ लिमिटेड (हिमफेड) के गोदामों में गोबर का भंडारण किया जाएगा। मंत्री ने सभी जिलों के उप निदेशकों को निर्देश दिए कि वे बंद पड़े कृषि फार्मों को पुनः सक्रिय करें। इन बंद फार्मों में जैविक फसलों का उत्पादन शुरू किया जाएगा, जिसके लिए सिंचाई सुनिश्चित की जाएगी और अनुबंध खेती के माध्यम से किसानों को जैविक कृषि की ओर प्रेरित किया जाएगा।
इसके साथ ही, कृषि विभाग में हाल ही में भर्ती किए गए कर्मचारियों को भूमि उपयोग नियोजन, मिट्टी की उर्वरता, त्रि-आयामी मानचित्रण और फसल पैटर्न में प्रशिक्षण दिलवाया जाएगा। मंत्री ने कहा कि यह प्रशिक्षण किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से होगा, ताकि वे सूक्ष्म स्तर पर क्लस्टर का पता लगाने के लिए रिमोट सेंसिंग तकनीकों का इस्तेमाल कर सकें और नकदी फसलों का उत्पादन बढ़ा सकें। इस योजना से न केवल जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि प्रदेश में किसानों की आय को स्थिर और अधिक सशक्त बनाने में भी मदद मिलेगी।
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