Indian Stock Market Crash: दुनिया के लगभग सभी प्रमुख शेयर बाजारों के मुकाबले, भारतीय शेयर बाजार में पिछले एक महीने में भारी गिरावट देखी गई है। इस दौरान निवेशकों को 463 अरब डॉलर का भारी नुकसान हुआ है। बाजार जानकारों का मानना है कि वैश्विक आर्थिक मंदी के डर, कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि और घरेलू स्तर पर कुछ अन्य कारणों से बाजार में उतार-चढ़ाव का दौर जारी है।
मीडिया रिपोट्स के मुताबिक भारतीय शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनियों की कुल मार्केट वैल्यू पिछले एक महीने करीब 463 अरब डॉलर घटी है और अब यह करीब 4.7 ट्रिलियन डॉलर पर है। यह लगभग 9 फीसदी की गिरावट है, जो दुनिया के लगभग सभी प्रमुख शेयर बाजारों के मुकाबले कहीं ज्यादा है। रिपोट्स के मुताबिक ब्लूमबर्ग की ओर से जुटाए गए आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।
इसकी तुलना में, अमेरिका के मार्केट कैप में महज 1.8% की गिरावट आई और यह 63 ट्रिलियन डॉलर पर अभी है। चीन में 6.2% की गिरावट दर्ज की गई। यूके के मार्केट में 4.1% और कनाडा में 3.2% की गिरावट आई। जापान और हांगकांग के शेयर बाजारों में लिस्टेड कंपनियों की कुल मार्केट में करीब 2.3 फीसदी की गिरावट आई। हालांकि इनके सऊदी अरब का प्रदर्शन अच्छा रहा है, जो अभी 2.7 ट्रिलियन डॉलर के मार्केट कैप के साथ दुनिया का नौंवा सबसे बड़ा स्टॉक मार्केट है। रूस और ईरान पर सख्त प्रतिबंधों के चलते क्रूड ऑयल की कीमतों में आई उछाल से वहां के बाजार को फायदा हुआ है।
भारतीय बाजार पर गिरावट के प्रमुख कारण (Indian Stock Market Crash Main Reason)
भारतीय शेयर बाजार में पिछले एक महीने में भारी गिरावट देखी गई है। इस समय भी कई दबाव काम कर रहे हैं। जिनमे :-
- रुपये की कमजोरी: पिछले एक महीने में रुपया 2% कमजोर होकर 86 प्रति डॉलर के स्तर पर आ गया। कमजोर रुपया विदेशी निवेशकों के लिए भारतीय बाजार को कम आकर्षक बनाता है।
- विदेशी निवेशकों की बिकवाली: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने इस महीने अब तक $6.7 बिलियन के शेयर बेचे हैं। FIIs ने इस महीने 2 जनवरी को छोड़कर हर दिन भारतीय शेयर से बाजार से पैसे निकाले हैं
- तेल की कीमतों में उछाल: भारत एक शुद्ध तेल आयातक देश है। तेल की कीमतें बढ़ने से आयात लागत बढ़ जाती है, जिससे बाजार पर दबाव पड़ता है।
बाजार जानकारों का मानना है कि वैश्विक आर्थिक मंदी के डर, कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि और घरेलू स्तर पर कुछ अन्य कारणों से बाजार में उतार-चढ़ाव का दौर जारी है। एक मीडिया रिपोर्ट के जानकारों का कहना है कि 2025 की शुरुआत से ही ग्लोबल इकोनॉमी में भारी अनिश्चितता देखी जा रही है।
उन्होंने कहा कि लगभग सभी बड़ी देशों की इकोनॉमी में ग्रोथ, महंगाई और ब्याज दरों की उम्मीदों में बड़ा अंतर है, जिससे जोखिम बढ़ सकता है और कंपनियों के वैल्यूएशन पर असर पड़ सकता है।” एक अनुमान है कि निफ्टी-50 2025 के अंत तक 21,800 से 25,700 के बीच रह सकता है।
खबर के मुताबिक ब्रोकेरज ने कहा कि वह फाइनेंशियल, कंज्यूमर स्टेपल्स,पावर, इंटरनेट ऑयल एंड गैस, फार्मा, टेलीकॉम, और रियल एस्टेट जैसे सेक्टर में निवेश की सलाह दे रहा है। वहीं दूसरी ओर उसे कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी, , सीमेंट, हॉस्पिटल्स, ऑटो, कैपिटल गुड्स और मेटल्स का प्रदर्शन कमजोर रहने की उम्मीद है।
डिस्क्लेमरः यह खबर जानकारी के लिए बनाई गई है निवेश के लिए एक्सपर्ट से सलाह लें