प्रजासत्ता ब्यूरो शिमला|
राजधानी शिमला में एचआरटीसी और निजी बस ऑपरेटरों के बीच बसों के टाइम टेबल को लेकर चल रहे विवाद और ऑडियो वायरल होने के बाद एचआरटीसी प्रबंधन ने आरएम शिमला देवसन नेगी को शिमला से नेरुवा स्थानांतरित कर दिया गया है| आरएम के तबादले की खबर के बाद शुक्रवार को पुराना बस स्टैंड में बसें खड़ी करके चालकों व परिचालकों ने प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
चालकों व परिचालकों के बसों को रोक कर प्रदर्शन करने से लोगों को काफ़ी परेशानी का सामना करना पड़ा। वहीँ उन्होंने चेतावनी भी दी है कि अगर आरएम शिमला का तबादला रद्द नहीं किया गया तो पूरे प्रदेश में एचआरटीसी की बस सर्विस बंद कर दी जाएगी। बहरहाल पुरे प्रदेश में इसके विरोध में एचआरटीसी की बसें बंद होगी या नही होगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन हम इस मामले से जुडी कुछ जानकारी सबके सामने रखना चाहते हैं|
गौरतलब है कि एचआरटीसी प्रबंधन ने आरएम शिमला देवसन नेगी वर्ष 2014 से राजधानी शिमला में ही अपनी सेवाएं दे रहे हैं| ध्यान दें वाली बात यह है कि आरएम लगभग पिछले सात वर्षों से शिमला में ही एक ही पद पर एक ही जगह तैनात रहे हैं, कुल मिलाकर पिछले 12 वर्षों से शिमला में ही तैनात है, जो तर्कसंगत नहीं है| हालांकि एचआरटीसी पर लगातार बदइंतजामी के सवाल उठाते रहे लेकिन इसकी आंच विभाग के आला अधिकारीयों पर नही आई|
पिछले लम्बे समय से एचआरटीसी की बसों की खरीद फरोक्त को लेकर,एचआरटीसी के घाटे को लेकर व अन्य तकनिकी कारणों को लेकर भी विवाद बढ़ते गए हैं, लेकिन विभाग के आला अधिकारी पिछले सात सालों से एक ही पद पर डटे हुए हैं| ऐसे में जब शिमला के दर्जनों रूट बंद पड़े हैं, बसें सड़कों पर खड़ी है, लेकिन अधिकारी उन पर ध्यान देने की बजाए,,, राजनीतिक संरक्षण में चालकों और परिचालकों को प्रदर्शन के लिए उकसा कर एक बार फिर अपना तबादला रुकवाने की फ़िराक में हैं| जिसके लिए चालक व परिचालक बसों के पहिए रोककर प्रदर्शन कर सरकार, मंत्री व विभाग के खिलाफ प्रदर्शन और नारेबाजी कर तबादला रुकवाने का दबाव बना रहे हैं|
ऐसे में एचआरटीसी प्रबंधन विभाग की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर सवाल उठ रहें हैं क्योंकि पिछले लंबे समय से आरएम शिमला में ही तैनात है और अब जो तबादला किया गया है वह भी इसलिए क्योंकि निजी बस ऑपरेटर से बदतमीजी का उनका ऑडियो वायरल हुआ है| जिसमे वह निजी बस ऑपरेटर को गालियाँ भी दे रहे हैं और परिवहन विभाग के आरटीओ की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान भी लगा रहे हैं|
बता दें कि पिछले हफ्ते निजी बस ऑपरेटर ने एक आडियो वायरल किया था| प्रजासत्ता ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था| इसमें ऑपरेटर ने आरोप लगाया था कि निजी बस की टाइमिंग पर सरकारी बसें बिना समयसारिणी के चल रही हैं। जब समय सारणी को लेकर निजी बस ऑपरेटर ने आरटीओ का जिक्र किया था तब आरएम उसे धमकाता है कि आरटीओ कौन होता है टाइम देने वाला| जबकि ऐसा कोई नियम नही है की टाइम टेबल लेने के लिए एचआरटीसी की एनओसी जरुरी हो|