प्रजासत्ता ब्यूरो।शिमला
बाहरा विश्वविद्यालय अपने शिक्षकों नहीं देता समय पर वेतन और सबसे बड़ी बात यह है कि कोरोना काल में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों का वेतन 40 और 20 फीसदी काट कर दिया जा रहा है। जिसके पीछे यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार ने यह तर्क दिया कि सैलरी ऑनलाइन और ऑफ लाइन काम को देखते हुए काटी गई है हालांकि यह छात्रों से पूरी फीस ले रहे हैं उसमें कोई रियायत नहीं है।
आपको बता दें कि वर्ष 2019 में भी जब सब सामान्य चल रहा था तो संस्थान ने आठ महीनों के वेतन रोककर अपने ही संस्थान के कर्मचारियों का खूब उत्पीड़न किया बाद में मामला राज्य निजी शिक्षण संस्थान नियामक आयोग में आठ महीनों से वेतन नहीं मिलने की शिकायत लेकर पहुुंचा विश्वविद्यालय के शिक्षकों की शिकायत पर आयोग के सदस्य ने यह आदेश जारी किए थे।
उस वक़्त मामले की सुनवाई करते हुए आयोग के सदस्य डॉ. एसपी कत्याल ने 22 जून तक सभी शिक्षकों को वेतन जारी करने को कहा था। उन्होंने नौ जून को विवि के अकाउंट अफसर को विद्यार्थियों से इस शैक्षणिक सत्र में वसूली गई फीस और विवि के खर्चों का ब्योरा भी तलब किया था।
2019 में मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में शिक्षकों की ओर से की गई वेतन नहीं मिलने की शिकायत पर आयोग ने संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई की थी। नियामक आयोग पहुंचे शिक्षकों ने बताया था कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें बीते आठ माह से वेतन नहीं दिया है। इसको लेकर पहले भी अलग-अलग प्रशासन के समक्ष इस मुद्दे को उठाया था लेकिन कोई समाधान नहीं निकल पाया।
बता दें कि करीब 130 कर्मचारियों और शिक्षकों को जून 2019 से वेतन नहीं मिलने की शिक्षकों ने आयोग के समक्ष बात कही थी। अभी भी खबर मिलने तक जून 2021और जुलाई 2021 मास के वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। सरकार के आदेशों की धज्जियां उड़ाना और सरकार के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं करना ही इनके मनमाने रवैये को बढ़ावा देता है।