प्रजासत्ता ब्यूरो शिमला|
राजधानी शिमला में आरटीओ ऑफिस के बाहर सड़क किनारे पिली पट्टी से अन्दर खड़ी टैक्सी गाड़ियों को पुलिस ने कार्यवाही करते हुए वहां से हटवा दिया। हालांकि हैरानी की बात यह है कि इसके लिए टैक्सी नम्बर गाड़ियों को ही चुना गया, जबकि कुछ रासुक्दर लोगों ने अपनी निजी गाड़ियाँ वहीँ खड़ी कर दी| जिसको लेकर स्थानीय टैक्सी चालको में इसको लेकर विरोध बढ़ने लगा है| टैक्सी चालकों का कहना है कि सड़क किनारे येलो लाइन के अंदर वैसे तो कोई भी गाड़ी खडी कर सकता है, फिर यह कार्यवाही सिर्फ टैक्सी नम्बर की गाड़ियों पर ही क्यों की गई। जबकि कुछ समय बाद ही कुछ रासुक्दर लोगों ने अपनी निजी गाड़ियाँ वहीँ खड़ी कर दी|
आपको बता दें वर्ष 2015 में माननीय हाईकोर्ट ने नगर निगम की सीमा में रहने वाले लोगों के लिए आदेश दिए थे कि बिना पार्किंग प्रमाणपत्र के कोई भी गाड़ी पंजीकृत नहीं होगी| उसके लिए शिमला में वाहन की पार्किंग की व्यवस्था होने का सर्टिफिकेट लगाना होगा। सर्टिफिकेट संबंधित क्षेत्र के एसएचओ के माध्यम से लेना अनिवार्य होगा।
इस आदेश के अनुसार एसडीएम और आरटीओ आफिस में वाहन पंजीकरण से पहले पूछा जाएगा कि क्या वाहन शिमला नगर निगम की परिधि में चलेगा। यदि वाहन मालिक हां कहता है तो उसे शिमला में पार्किंग का प्रमाणपत्र देना होगा। हाईकोर्ट के आदेश के बाद पंजीकृत होने वाले हर नए और पुराने वाहन के पंजीकरण पर यह शर्त लागू है|
वहीँ टैक्सी गाड़ियों को हटाने की कार्यवाही के बारे में जानने की लिए शिमला डीएसपी ट्रैफिक अजय भरद्वाज से बात की तो उनका कहना था कि यातायात व्यवस्था सुचारू करने के लिए ट्रैफिक मैजिस्ट्रेट के आदेश के बाद इन गाड़ियों को वहां से हटावाया गया है| इससे पहले शिमला क्रोसिंग से भी गाड़ियों को हटवाया गया था अब यही कार्यवाही आगे भी जारी है| क्योंकि पर्यटकों के वाहनों के ज्यादा संख्या में आने पर यहाँ जाम की स्थिति उत्पन हो जाती है| उन्होंने कहा कि अगर सम्बंधित जगह पर कोई निजी गाड़ियाँ लगी है तो पुलिसकर्मियों को भेज कर उन्हें भी हटवाया जायेगा|