प्रजासत्ता|
जयराम ठाकुर सरकार एक बार फिर से 1000 करोड़ रुपये कर्ज लेने जा रही है| राज्य सरकार के वित्त विभाग ने इस संबध में अधिसूचना जारी की है| बता दें कि कर्मचारियों और पेंशनरों के वेतन, पेंशन के अलावा महंगाई भत्ता तथा अन्य देनदारियों के लिए सरकार को कर्ज की जरूरत पड़ रही है| राज्य की माली हालत पहले ही खराब है| ऐसे में खर्चे चलाना मुश्किल हुआ है|
सरकार ने वीरवार को 1000 करोड़ रुपये का कर्ज लेने के लिए भारतीय रिजर्ब बैंक के समक्ष आवेदन किया है। कर्ज की राशि पहली सितंबर को सरकार के खाते में आ जाएगी। चालू वित्त वर्ष में सरकार पहली बार कर्ज उठाने जा रही है। अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त प्रबोध सक्सेना ने इस संबंध में दो अलग-अलग अधिसूचनाएं जारी की हैं| बता दें कि हिमाचल प्रदेश पर अब तक 60 हजार करोड़ रुपये से अधिक कर्ज हो चुका है| अधिसूचनाओं के अनुसार, 500 करोड़ रुपए का कर्ज अगले 10 साल, जबकि 500 करोड़ रुपये का दूसरा लोन 11 वर्ष साल के लिए लिया जाएगा|
बता दें कि प्रदेश सरकार मौजूदा वित्त वर्ष में पहली बार कर्ज ले रही है। वर्ष के अंत तक छह हजार से सात हजार करोड़ रुपये कर्ज उठाने की संभावना है। ऐसी स्थिति में प्रदेश पर कर्ज का कुल बोझ 68492 करोड़ पहुंच सकता है। अभी सरकार पर 61492 करोड़ रुपये का कर्ज है। पिछले वर्ष 2020-21 में सरकार ने छह हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। प्रदेश के कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिए सरकार को आठ हजार करोड़ रुपये की जरूरत रहेगी। वेतन-पेंशन पर 17 हजार करोड़ का खर्च
हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के वेतन-भत्तों और पेंशन पर बजट से 17 हजार करोड़ रुपये चले जाते हैं। इस समय कर्मचारियों के वेतन पर 11477 करोड़ और पेंशन पर 5489 खर्च हो रहे हैं। ऐसे में बजट का कुल 72 फीसद पैसा वेतन-पेंशन में चला जाता है।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश पर पहले ही 60 हजार करोड़ रुपये के कर्ज तले दबा हुआ है| कांग्रेस सरकार में यह कर्ज 45 हजार के करीब था| लेकिन अब भाजपा के राज में यह 60 हजार करोड़ तक पहुंच गया है|