हीरा दत्त शर्मा|
शिव तांडव गुफा कुनिहार के मंदिर प्रांगण में महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर आयोजित हो रही ग्यारह दिवसीय ज्ञानमयी एवं पावक महाशिवपुराण कथा के ग्यारहवें एवं अंतिम दिवस पर कथावाचक पंडित टेकचंद शर्मा ने अपने मुखारविंद से इस पावन कथा का रसास्वादन कराते हुए उपस्थित सभी शिव भक्तों को भगवान शिव शंकर महिमा का गुणगान बहुत ही मनमोहक एवं भावपूर्ण तरीके से सुनाया।
कथावाचक ने व्यासगद्दी से प्रवचनों की बौछार और कथा का रसास्वादन कराते हुए कहा मनुष्यों के लिए ज्ञान ही श्रेष्ठ होता है। इस संसार में अनेक प्रकार की जानकारियां उपलब्ध है, जैसे संसारी के ज्ञान, साहित्य ज्ञान, विविध कलाएं जैसे नृत्य संगीत, चित्र कलाकारी इत्यादि परंतु इन सभी प्रकार के ज्ञान में अपने आपको को जानना, आत्म ज्ञान प्राप्त करना सर्वश्रेष्ठ होता है। सांसारिक और शारीरिक जानकारी जीवन यापन करने के लिए और यश, बल व नाम पाने के लिए उपयोगी होते होते हैं परंतु आत्मज्ञान अपने स्वयं के उद्धार के लिए, आत्म संतोष के लिए और मन की शांति के लिए उत्तम है ।
इस संसार में प्रत्येक प्राणी दिन-रात आजीविका /पेट को भरने के प्रयत्न में दिन-रात में लगा रहता है। मानव जीवन उसके बिना चल ही नहीं सकता। परंतु धन कमाने के लिए इस संसार की भौतिक वस्तु और विषयों की जानकारी होना आवश्यक होता है परंतु आत्मज्ञान आंतरिक, शाश्वत तथा स्थाई मूल्यों पर आधारित होता है। सांसारिक दृष्टिकोण होने पर आत्मज्ञान उपलब्ध नहीं होता।
इस कथा के अंतिम दिवस पर हवन यज्ञ में कथावाचक, शिव तांडव गुफा विकास समिति एवं शंभू परिवार के सदस्यों के साथ साथ कथा में उपस्थित भक्तजनों द्वारा पूर्णाहूति देने के उपरांत इस ग्यारह दिवसीय पावनमयी महाशिवपुराण कथा को विराम दिया गया। महाशिवपुराण कथा के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए शिव तांडव गुफा विकास समिति कुनिहार के प्रधान राम रतन तंवर ने बताया कि शिव तांडव गुफा प्रांगण में 18 फरवरी शनिवार को महाशिवरात्रि का पावन पर्व बहुत ही हर्षोल्लास एवं उमंग के साथ मनाया जाएगा एवं 19 तारीख रविवार को सभी भक्तजनों के लिए विशाल भंडारे का आयोजन होगा। जिसमें अधिक से अधिक लोगों को सम्मिलित होने का आह्वान किया।