सुभाष कुमार गौतम/घुमारवीं
आधुनिकता की चकाचौंध में हम दिन-प्रतिदिन अपना रहन सहन के पुराने परम्परागत तरीके भूल रहे हैं जबकि सच्चाई यह है कि हम पुराने तौर-तरीकों में अधिक सुरक्षित महसूस करते थे लेकिन दिन प्रतिदिन हमारा मेल मिलाप खत्म हो रहा है। आधुनिकता की चकाचौंध में हमारी संस्कृति लुप्त होने की कगार पर है जिसको बचाये रखने के लिए हम सभी को एक जुट होकर आगे आना चाहिए।
घुमारवीं के बैल पालकों को मिलेगी प्रोत्साहन राशि,घुमारवीं ग्रीष्मोत्सव में किया जाएगा सम्मानित :-राजेश धर्माणी
