सुभाष कुमार गौतम/घुमारवीं/बिलासपुर
हिमाचल प्रदेश में बोर्ड की परीक्षा का स्थगित किया जाना बच्चों के अविभावकों के लिए किसी सदमे से कम नहीं |है अचानक निर्णय लेना सरकार की फितरत बन चुकी है क्योंकि रात को कुछ और निर्णय होता है और सुबह कुछ और,,,
बच्चों के अविभावकों अरविंद धीमान कविता शर्मा राजेंद्र कुमार अनिल कुमार सुजाता शर्मा सुनील दत्त ने बताया कि आज परीक्षा रद्द करने की क्या जरूरत पड़ गई, जबकि स्कूलों में 20- 20 कमरे बने हुए हैं और किसी भी सरकारी स्कूल में बच्चों की तैदाद 50 से अधिक नहीं है आराम से बच्चों की परीक्षा हो सकती थी शिक्षा विभाग और सरकार की मिली भक्त से बच्चों का भविष्य अंधकार में डूबता नजर आ रहा है|
दूसरी बात यह है कि जब सरकार को पता है कि कोरोना तेजी से फैल रहा है तो मार्च महीने में परीक्षा क्यों नहीं ली गई| आखिर माजरा क्या है कहने का मतलब जो शिक्षा विभाग मनमर्जी से फैसला लेगा उसे बच्चों और उनके अविभावकों पर थोप दिया जाएगा| माना के कोरोना का बहाना है लेकिन सरकार और विभाग क्यों लापरवाह है,, क्योंकि परीक्षा मार्च महीने में भी हो सकती थी जब स्कूल प्री बोर्ड परीक्षा लेते रहे इस निर्णय से जहां बच्चे आहत हुए हैं वहां इस निर्णय से अविभावक भी दुःखी हुए हैं क्योंकि उनको अपने बच्चों के भविष्य की चिंता सताने लगी है|