Credit Card News: क्रेडिट कार्ड उपयोगकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण अपडेट सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कंज्यूमर डिसप्यूट रिड्रेसल कमीशन (NCDRC) के 2008 के फैसले पर रोक लगाते हुए बैंकों को क्रेडिट कार्ड ग्राहकों से ज्यादा लेट फीस वसूलने की अनुमति दे दी है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा 30% की सीमा हटाने से बैंकों को अधिक स्वतंत्रता और राजस्व बढ़ाने का मौका मिलेगा, लेकिन यह ग्राहकों के लिए वित्तीय दबाव बढ़ाएगा।
क्या है मामला?
20 दिसंबर 2024 को, सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस बेला त्रिवेदी और सतीश चंद्र शर्मा शामिल थे, ने Standard Chartered Bank, Citibank, HSBC और अन्य प्रमुख बैंकों की याचिका को मंजूरी दी। कोर्ट ने कहा कि NCDRC के 2008 के आदेश पर रोक लगाई जा रही है।
बैंकों का पक्ष
बैंकों ने कोर्ट में तर्क दिया कि NCDRC (नेशनल कंज्यूमर डिसप्यूट रिड्रेसल कमीशन) ने ब्याज दर की सीमा तय करते समय यह नहीं माना कि उच्च ब्याज दर केवल उन ग्राहकों पर लागू होती है, जो समय पर भुगतान नहीं करते। बैंकों ने कहा कि नियमों का पालन करने वाले ग्राहक को करीब 45 दिनों तक ब्याज-मुक्त क्रेडिट मिलता है। इसके अलावा, क्रेडिट कार्ड सेवाओं से जुड़े कई खर्चे भी होते हैं, जिन्हें ध्यान में रखना चाहिए।
NCDRC का 2008 का फैसला क्या था?
NCDRC ने 7 जुलाई 2008 को आदेश दिया था कि बैंक उन ग्राहकों से 30% से अधिक ब्याज दर और अन्य शुल्क वसूलने पर रोक लगाएं, जो अपने क्रेडिट कार्ड (Credit Card) का बिल समय पर नहीं चुकाते। कमीशन ने इसे “अनुचित व्यापार प्रथाओं” का हिस्सा बताया था।
NCDRC ने तर्क दिया था कि भारत में, अधिकांश बैंकों के लेंडिंग रेट 10-15.5% के बीच हैं। ऐसे में बैंकों द्वारा 36-49% ब्याज वसूलने की दलील सही नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट का ताजा आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों को राहत देते हुए NCDRC के फैसले को अस्थायी तौर पर रोक दिया है। अब, क्रेडिट कार्ड उपयोगकर्ताओं को यदि वे समय पर पूरा भुगतान नहीं करते हैं, तो उन्हें उच्च लेट फीस और ब्याज दर का सामना करना पड़ सकता है।
अन्य देशों में क्रेडिट कार्ड पर ब्याज दरें( Credit Card Interest Rates in other Countries)
NCDRC ने 2008 में अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया में क्रेडिट कार्ड ब्याज दरों की तुलना की थी।
- अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम: ब्याज दर 9.99% से 17.99% के बीच
- ऑस्ट्रेलिया: ब्याज दर 18% से 24% के बीच
ग्राहकों पर प्रभाव
इस फैसले के बाद, भारत में क्रेडिट कार्ड उपयोगकर्ताओं को ज्यादा वित्तीय भार का सामना करना पड़ सकता है। यह फैसला उन ग्राहकों के लिए चिंता का कारण बन सकता है, जो अपने बिल समय पर पूरा भुगतान नहीं कर पाते। ग्राहकों को अब अपनी क्रेडिट कार्ड पेमेंट समय पर करने के लिए सतर्क रहना होगा।
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