प्रजासत्ता|
हमारा राष्ट्रध्वज तिरंगा हमारे देश की आन-बान-शान है। जब भी यह फहराया जाता है, हवा में लहराया जाता है, हमारे अंदर देशभक्ति की ऊर्जा का संचार हो जाता है। तिरंगा संपूर्ण राष्ट्र के लिए गौरव का प्रतीक है। देश के लोग तिरंगे के प्रति सम्मान और श्रद्धा रखते हैं। लेकिन जब इसी तिरंगे के निचे या सामने हमारे संविधान के अनुसार बनाए गए कानून और नियमों की जमकर धज्जियाँ उड़ाई जाती है, तब यह समझना थोडा मुश्किल होगा की हम तिरंगे का सम्मान कर रहे हैं या अपमान। लेकिन हमारे देश में यह रिवाज बन ही गया है। हम सामने से तो देशभक्ति की बड़ी-बड़ी बातें करतें हैं लेकिन जब उसी देश के संविधान के अनुसार बनाए गए नियमों और कानूनों का पालन करने की बात आती है तो उन्हें तोड़कर देश की साख को गिराने वाला काम करतें हैं, और इस बात का पछतावा भी नहीं होता।
ऐसा ही कुछ इन दिनों देश में अलग-अलग स्थानों पर निकाली जा रही तिरंगा यात्राओं में देखने को मिल रहा है। जहाँ तिरंगे के सम्मान के लिए यात्राएँ और रैलियां तो निकाली जा रही है लेकिन इन्ही यात्राओं और रैलियों में यातायात के नियमों की तो खुलकर धज्जियाँ उड़ाई जा रही है। वैसे तो अधिकतर लोग यातायात के नियमों का अन्य दिनों में कम ही पालन करते हैं। लेकिन जिस दिन तिरंगे के सामने इस तरह का घटनाक्रम होता हुआ नज़र आता है। तब यह बात हम क्यों नहीं सोचते की हम तिरंगे का सम्मान करने जा रहे हैं, या हम कहीं अनजाने में तिरंगे के सम्मान और उसकी गरिमा को बहुत बड़ी ठेस पहुंचा रहे हैं। क्योंकि तिरंगा हमारे देश के मान और गौरव का प्रतीक है और उसकी के सामने हम देश के बनाए गए नियमों और कानून की धज्जियाँ उड़ा रहें हैं।
कहने को तो इस देश में नए यातायात नियम लागु हैं। सरकार और प्रशासन इन्हें सख्ती से लागु करने और लोगों द्वारा इसका पालन करवाने की हामी भरता है। लेकिन क्या सच में ऐसा होता है। हाँ कुछ जगह तो यह देखने में मिलाता है कि नियमों का पालन अच्छे से किया जा रहा है, लेकिन ज्यादातर जगहों पर अभी भी हालात वही नियम तोड़ने वाले हैं। सरकार और प्रशासन प्रशासन इसके बारे जानकर भी मूकदर्शक बना हुआ है।
वैसे तो हमारे देश में जागरूकता के लिए,मेराथन, रैलियां, या इस तरह के बड़े बड़े आयोजन किये जाते है, ग्लोबल वार्मिग को कम करने और बिना बिजली के गावों को रोशन करने के लिए हम बड़े-बड़े शहरों की बिजली एक रात बंद कर, इस तरह के कई अभियानों को चलातें हैं, उसी तरह हमें यह अभियान भी चलना चाहिए की एक दिन तिरंगे के सामने देश के बनाए सभी नियमों और कानूनों का ईमानदारी से पालन किया जाए। इस तरह हम अन्य दिनों की तुलना में एक दिन पूरी ईमानदारी से देश के लिए कुछ करें। हालांकि अभी भी बहुत से लोगों की यही सोच होगी की, मेरे अकेले के करने से ऐसा कैसे होगा। लेकिन वो यह भूल जातें है हर अच्छे कम की शुरुवात एक से ही होती है और धीरे धीरे वह आगे बढती जाती है। यदि हम प्राण करें की तिरंगे की आन बान और शान के लिए हम अकेले में भी नियमो और कानून का पालन करेंगे तो देश में एक दिन जरुर बड़ा बदलाव होगा।