पर वो मेरी दोस्त कभी थी नहीं

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Tripta Bhatia



कभी -कभी अनजाने में लोग फेसबुक पर भी मिल जाते हैं अब कुछ लाइक और शेयर पिछले साल की यादों में फेसबुक मैमोरी में आ जाते हैं शायद उसके भी आते हैं। दोस्त जाने से पहले आपके साथ बिताये दिनों पर अपनी मोहर छोड़ जाते हैं हाँ मैंने उसके साथ कमारा, रजाई तकिया के लिए लड़ाई नहीं की। हफ्ते की लास्ट छुट्टी या कोई खास सीरीज़ छोड़ कर नहीं गयी। बस थोड़ा सा जाना था और उतनी ही काफी था दो अजनबी लोगों को दोस्त बनने में और इसलिए ही मैंने उसे कभी बाहों में कसकर गुडबाय नहीं कहा था न मैंने कभी हक़ से हाथ पकड़कर चूमा उसके दुख में ।

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