कहने को तो सभी इंसान बराबर हैं क्योंकि उनके पास भी वही है जो बाकी मनुष्यों के पास है, दो हाथ, दो पैर, दो आंखे और एक शरीर. लेकिन, समानता होने के बाद भी कुछ इंसान अपनी अलग पहचान बना लेते हैं। वो समाज का एक उदाहरण बन कर सामने आते हैं। आखिर क्यों कोई शख्स बाकियों से अलग बन पाता है. ये सवाल हमारे मन में कई बार उठी होंगी इसका जवाब बेहद ही सरल है, एक अच्छी सोच और कुछ कर गुजरने का जज्बा। आज ये बातें राजस्थान की राजधानी जयपुर के राजेश सुथार पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि आज उनकी एक छोटी सी पहल से वो खबरों में बने हुए हैं और ‘पैडमैन’ कहला रहें हैं। राजेश सुथार ने 19 महीनों के अंदर 20 हजार सैनिटरी नैपकिन के पैक महिलाओं के बीच बाटें हैं.