High Blood Pressure in Winter: कड़ाके की ठंड पड़ने लगी है। बदलते मौसम के साथ दिनचर्या में बदलाव लाना जरूरी है, अन्यथा शरीर बीमारियों की चपेट में आ सकता है। आमतौर पर सर्दियों में बैक्टीरिया और पैरासाइट्स से जुड़ी बीमारियां कम हो जाती हैं क्योंकि मच्छर, मक्खी, पिस्सू जैसे रोग वाहक इस मौसम में सक्रिय नहीं रहते। इसके साथ ही जल का प्रयोग कम होने से जल जनित रोगों का खतरा भी घट जाता है।
हालांकि, सर्दी के मौसम में रक्त संचार संबंधी बीमारियां बढ़ जाती हैं, जिनमें उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) सबसे प्रमुख है।
सर्दियों में उच्च रक्तचाप के कारण (Causes of high blood pressure in winter)
- धमनियों का संकुचित होना: ठंड के कारण रक्त धमनियां संकुचित हो जाती हैं, जिससे रक्त प्रवाह बनाए रखने के लिए मस्तिष्क और हृदय पर अधिक दबाव पड़ता है।
- रक्त का गाढ़ापन: रक्त गाढ़ा होने और थक्के जमने से रक्त संचार धीमा और बलपूर्वक हो जाता है, जो मस्तिष्क, हृदय, किडनी और फेफड़ों के लिए खतरनाक है।
- मस्तिष्क में रक्त संचार की कमी: अवरोध के कारण मस्तिष्क में रक्त संचार कम हो जाता है, जिससे मस्तिष्क की सुस्ती को दूर करने के लिए हार्ट रेट और रक्तचाप बढ़ जाता है।
- पसीने की कमी: ठंड में पसीना नहीं निकलता, जिससे शरीर में नमक की मात्रा बढ़ जाती है, जो उच्च रक्तचाप का कारण बनता है।
- अवसाद और मानसिक तनाव: सर्दियों में दिन छोटे होने से काम के घंटे घट जाते हैं, जिससे मानसिक तनाव बढ़ता है। मस्तिष्क की अति सक्रियता रक्तचाप को बढ़ा देती है।
- व्यायाम की कमी: ठंड और आलस्य के कारण लोग व्यायाम, योग और वार्मअप से दूर रहते हैं, जिससे रक्त संचार प्रभावित होता है।
- अनियमित खानपान: फास्ट फूड और तैलीय भोजन के अधिक सेवन से कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है, जो रक्तचाप को बढ़ाता है।
- अंगों में रक्त की कमी: किडनी और लिवर जैसे महत्वपूर्ण अंगों को पर्याप्त रक्त न मिलने से उनकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है, जिससे रक्तचाप बढ़ने लगता है।
शीतकालीन उच्च रक्तचाप के दुष्प्रभाव (Side Effects High Blood Pressure in Winter)
- ब्रेन हेमरेज या स्ट्रोक: सर्दियों में रक्तचाप बढ़ने से मस्तिष्क की धमनियां फट सकती हैं, विशेषकर सुबह के समय मॉर्निंग वॉक या टॉयलेट के दौरान।
- हार्ट अटैक या हार्ट ब्लॉक: रक्त के थक्के जमने और कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से हृदय को अधिक काम करना पड़ता है, जो हार्ट अटैक का कारण बनता है।
- हाइपर एसिडिटी: मानसिक तनाव के कारण पेट में एसिड का स्राव बढ़ता है, जिससे हाइपर एसिडिटी होती है।
- लिवर पर दुष्प्रभाव: तैलीय भोजन के अधिक सेवन से लिवर प्रभावित होता है और पाइल्स जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
- अवसाद, सिरदर्द और चिड़चिड़ापन: रक्त संचार की गड़बड़ी से अवसाद, बेचैनी और गुस्सा बढ़ने लगता है।
बचाव के उपाय (Ways to Prevent High Blood Pressure in Winter)
- ठंड से बचने के लिए गर्म कपड़े पहनें।
- सुबह वार्मअप करके ही टहलने जाएं।
- घर पर व्यायाम और योग करें।
- पूरे शरीर की तेल मालिश कर धूप का सेवन करें।
- स्नान से पहले शरीर पर तेल लगाना फायदेमंद है।
- अवसाद से बचने के लिए हंसने-खिलखिलाने का समय निकालें।
- हरी सब्जियां, सलाद, फल और दूध का सेवन करें।
- शहद का सेवन करें और भोजन में नमक की मात्रा कम रखें।
- शरीर के तापमान को गर्म वस्त्रों से नियंत्रित रखें।
- विटामिन डी, सी और बी12 का सेवन बढ़ाएं।
- फास्ट फूड और तैलीय भोजन से परहेज करें।
होम्योपैथिक चिकित्सा
होम्योपैथिक चिकित्सा में उच्च रक्तचाप के लिए विशेष दवाइयां कारगर होती हैं। अपने चिकित्सक की सलाह से निम्न दवाओं का सेवन किया जा सकता है:
एकोनाइट, जेल्सीमियम, आरम मेटालिकम, बेराइटा म्यूर, आर्सेनिक एल्ब, लैकेसिस, थूजा, क्रेटेगस ऑक्स, आर्निका मॉन्ट, जिंजिबर, वेरेट्रम विरिडी, राउल्फिया सर्पेन्टाइना, लाइकोपस, एड्रीनलिन और इग्नेशिया।
निष्कर्ष
सर्दियों में उच्च रक्तचाप से बचने के लिए जीवनशैली में सुधार, नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और मानसिक तनाव से दूर रहना बेहद आवश्यक है। साथ ही होम्योपैथिक उपचार भी एक प्रभावी विकल्प साबित हो सकता है।
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