शिमला|
हिमाचल प्रदेश पर कर्ज का बोझ और बढ़ने वाला है। राज्य की जयराम ठाकुर सरकार अपने रोजमर्रा के खर्च चलाने के लिये वर्ष 2022 की शुरुआत में ही एक हजार करोड़ रुपये का कर्ज उठाएगी। केन्द्र सरकार ने ये कर्ज लेने के लिये हरी झंडी दे दी है। केंद्र की मंजूरी मिलने के बाद जयराम सरकार 500-500 करोड़ के ऋण दो किश्तों में ये कर्ज उठाएगी। इसके लिये सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। सरकार ये कर्ज 12 साल की अवधि के लिये उठाएगी।
इस कर्ज को वर्ष 2031 और 2033 तक चुकता किया जाएगा। प्रधान सचिव वित्त प्रबोध सक्सेना ने इसकी अधिसूचनाएं जारी कर दी हैं। यह ऋण हिमाचल प्रदेश में विकास कार्यों के नाम पर लिया जा रहा है हालांकि इसे कर्मचारियों को नया वेतनमान देने पर खर्चा जाना है। मुख्यमंत्री स्पष्ट कर चुके हैं कि नया वेतनमान देने के लिए सरकार पर 4,000 करोड़ रुपये का आर्थिक बोझ पड़ेगा। इससे पहले 26 अगस्त 2021 में भी सरकार ने 1,000 करोड़ रुपये का कर्ज लेने की अधिसूचनाएं जारी की थीं|
उसके बाद 18 नवंबर 2021 को 2,000 करोड़ रुपये के कर्ज की 500-500 करोड़ रुपये की चार अधिसूचनाएं हुई थीं। यानी चार महीने में 4,000 करोड़ रुपये का कर्ज लेने की अधिसूचनाएं जारी हुई हैं। अब प्रदेश सरकार पर 65,000 करोड़ से ज्यादा कर्ज चढ़ गया है। सनद रहे कि बीते दिनों धर्मशाला के तपोवन में हुए विधानसभा के शीत कालीन सत्र में पेश की गई कैग की 2019-20 की रिपोर्ट में प्रदेश पर 62 हजार करोड़ से अधिक के कर्ज का बोझ का खुलासा किया गया था। साथ ही इसी सत्र में कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह के सवाल के जवाब में सरकार ने बताया था कि बीते तीन सालों में सरकार ने 16 हजार करोड़ से अधिक के ऋण लिए हैं।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के आर्थिक साधन सीमित हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद कर्मचारियों को छठे पंजाब वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत नए वेतन मान देना सरकार की बाध्यता है। साथ ही महंगाई भत्ते की किश्त का अतिरिक्त बोझ भी खजाने पर पड़ा है। नए वेतन मान देने के बाद प्रदेश के बजट का 50 फीसद कर्मचारियों के वेतन व भत्तों के साथ साथ रिटायर कर्मचारियों के पेंशन के भुगतान पर होगा। लिहाजा विकास कार्यों को जारी रखने के मकसद से सरकार एक हजार करोड़ का ऋण लेने को विवश हुई है।