प्रजासत्ता।
हिमाचल प्रदेश की जयराम ठाकुर सरकार एक बार फिर से 2000 करोड़ रुपये कर्ज लेने जा रही है।सरकार ने इस कर्ज को लेने के पीछे तर्क विकास कार्य के दिए हैं। इस संबंध में हिमाचल सरकार रिजर्व बैंक के पास अपनी प्रतिभूतियों को गिरवी रखेगी। प्रदेश सरकार पर पहले से ही 61 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज है। अब यह कर्ज करीब 63000 करोड़ रुपए के पार हो जाएगा।
बता दें कि हिमाचल सरकार 2 हजार करोड़ का कर्ज 4 किस्तों में क्रमश: 9, 10, 11 और 12 वर्ष की अवधि के लिए लेगी। इसके लिए केंद्र सरकार की मंजूरी भी मिल चुकी है। 24 नवंबर 2021 तक यह राशि प्रदेश सरकार के खजाने में जमा हो जाएगी। अधिसूचना के अनुसार इस कर्ज का प्रयोग विकास कार्यों के लिए किया जाएगा। गौर हो कि पिछले वर्ष 2020-21 में भी सरकार ने छ: हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया था।
माना जा रहा है कि जेसीसी की बैठक में प्रदेश सरकार कर्मचारियों को खुश करने के लिए वित्तीय लाभ की घोषणा कर सकती है। वहीं हिमाचल सरकार के सामने पंजाब के छठे वेतन आयोग को ओर से जारी किए गए नए वेतनमान की तर्ज पर कर्मचारियों को वेतन देने का दबाव भी है। चुनावी वर्ष से ठीक पहले राज्य सरकार पर नए वेतनमान को देने की बाध्यता है। जिसके चलते वर्ष के अंत तक छ: हजार से सात हजार करोड़ रुपये कर्ज उठाने की संभावना है। ऐसी स्थिति में प्रदेश पर कर्ज का कुल बोझ 68492 करोड़ पहुंच सकता है।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में खजाने का अधिकांश हिस्सा सरकारी कर्मियों की तनख्वाह और सेवानिवृत कर्मियों के पेंशन पर जाता है। हालांकि केंद्र से भी मदद मिलती है, लेकिन खुद के आर्थिक संसाधन कम होने के कारण हिमाचल सरकार लगातार कर्ज लेती रहती है।
वहीं, हिमाचल पर अब करीब 63 हजार करोड़ रुपए का कर्ज हो जायेगा ऐसे में यह कर्जा लगातार बढता जा रहा है। जब हिमाचल प्रदेश में भाजपा सरकार आई थी तो यह कर्जा चालीस हजार करोड़ रुपये के करीब था, जो अब साठ हजार करोड़ रुपये के अधिक पहुंच गया है।