शिमला|
हिमाचल प्रदेश के ढाई लाख कर्मचारियों के लंबित मसले सुलझाने के लिए छह साल बाद शनिवार को सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में पीटरहॉफ शिमला में संयुक्त सलाहकार समिति (जेसीसी) की बैठक शुरू हो गई है। इसमें मुख्य सचिव, सभी सचिव और विभागाध्यक्ष सहित हिमाचल अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के पदाधिकारी मौजूद रहेंगे। सरकार को भेजे गए करीब 62 लंबित मांगों के ज्ञापन पर चर्चा करेगी। इनमें कितनी मांगों पर सरकार क्या रुख अपनाती है, यह जेसीसी के बाद स्पष्ट होगा।
जेसीसी की बैठक में हिमाचल प्रदेश के करीब पौने तीन लाख कर्मचारियों को कई तोहफे मिल सकते हैं। मौजूदा भाजपा सरकार के कार्यकाल में जेसीसी की यह पहली बैठक हो रही है। इसके माध्यम से सरकार कर्मचारी वर्ग को साधने का कार्य करेगी। कर्मचारियों की ओल्ड पेंशन स्कीम व छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने सहित कई अहम मांगें हैं।
पंजाब सरकार अपने कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू कर चुकी है। अब हिमाचल की बारी है। हिमाचल वेतनमान के मामले में पंजाब से जुड़ा है। प्रदेश का अपना अलग वेतन आयोग नहीं है। केंद्र अपने कर्मचारियों को पहली जनवरी 2016 से सातवां वेतनमान दे चुका है। पंजाब सरकार ने नया वेतनमान देने में देरी की है, इस कारण प्रदेश के कर्मचारियों को इसका अभी तक इंतजार लगा हुआ है। बैठक में अनुबंध कार्यकाल तीन से दो वर्ष होने की भी घोषणा तय मानी जा रही है। इसी बैठक में कर्मचारियों के लिए डीए की घोषणा हो सकती है।
ये हैं प्रमुख मांगें
- नए वित्त आयोग की सिफारिशें जल्द से जल्द लागू की जाएं, मांग पत्र में पंजाब के छठे वेतन वेतन आयोग की जगह केंद्र की तर्ज पर सातवां वेतनमान और भत्ते लागू करने की मांग उठाई है।
- ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की जाए।
- नियमितीकरण के लिए अनुबंध कार्यकाल तीन वर्ष से दो वर्ष किया जाए।
- 4-9-14 यानी टाइम स्केल बहाल किया जाए।
- अनुबंध से नियमित होने के बाद दो साल तक हायर ग्रेड, पे बैंड न मिलने की शर्त हटाई जाए।
- अधीक्षक ग्रेड वन का पदनाम अनुभाग अधिकारी रखा जाए।
- करुणामूलक आधार पर नौकरियां देने के लिए आय सीमा बढ़ाई जाए।
- चालकों, क्लीनरों को 20 साल की बजाय 15 साल में विशेष इंक्रीमेंट दी जाए।
- सोसायटी में कार्यरत कर्मियों के लिए नियमितीकरण की नीति बनाई जाए।
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