प्रजासत्ता ब्यूरो।
हिमाचल प्रदेश में सरकार बनते ही कांग्रेस ने इस चुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ते हुए पुरानी पेंशन व्यवस्था को 10 दिन के अंदर लागू करने समेत तमाम आर्थिक सहूलियतें देने का वादा भी कर दिया है। सोमवार को हिमाचल के नए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने फिर दोहराया कि कैबिनेट की पहली बैठक में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करेंगे। जाहिर है पहले से आर्थिक स्तर पर चुनौतियों का सामना कर रहा राज्य गहरे आर्थिक संकट में फंसने की राह पर कदम बढ़ाने का फैसला कर चुका है।
दरअसल, पहले से ही कर्ज में डूबे हुए प्रदेश को सुक्खू सरकार के चुनावी वादों को पूरा करने के लिए कई आर्थिक चुनौतियों से पार पाना होगा। मसलन पुरानी पेंशन स्कीम के तहत भुगतान करने के लिए हिमाचल सरकार को कम से कम 700 करोड़ रुपए अलग से चाहिए होंगे। इसी तरह घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को 300 यूनिट तक बिजली मुफ्त देने से हर महीने 200 करोड़ रुपए ज्यादा चाहिए होंगे। कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश की 18 से 60 के वय की महिलाओं को हर महीने 15 सौ रुपए देने का भी वादा किया है। इस वय की हिमाचली महिलाओं की संख्या 23 लाख के पार बैठती है इसके लिए सुक्खू सरकार को हर साल चार हजार करोड़ रुपए से अधिक चाहिए होंगे।
इसके अलावा राज्य के विकास के लिए परियोजनाएं बनाने उन पर खर्च करने के लिए अलग से हजारों करोड़ रुपए की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में यह अब सवाल यह उठता है चुनावी वादों को पूरा करने के लिए सुक्खू सरकार इतना सारा बजट कहां से लाएगी।
उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश पर इस वक्त 70 हजार करोड़ रुपए के आसपास कर्ज है। वह भी तब जब राज्य की सालाना आमदनी 9 हजार करोड़ रुपए से कुछ अधिक है। जाहिर है आंकड़े बता रहे हैं कि हिमाचल सरकार का खर्च राजस्व से अधिक है। इससे पहले केंद्र सरकार से पूर्व की भाजपा सरकार को लगभग 25 हजार करोड़ रुपए का सहारा मिल जाता था, लेकिन लाख टके का सवाल यह है कि बदली राजनीतिक स्थितियों में क्या केंद्र से हिमाचल प्रदेश को यह आर्थिक मदद मुहैया होगी। अगर नहीं होगी तो क्या सुक्खू सरकार के पास इन मदों में खर्च को जुटाने का कोई रोड मैप है? यह सवाल बहुत बड़ा है।