प्रजासत्ता।
भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व हमेशा से ही अपने फैसलों को लेकर चर्चा में रहता है। हिमाचल में राज्यसभा उम्मीदवार के नाम को लेकर लिए फैंसले से राष्ट्रीय नेतृत्व ने सभी को एक बार फिर से चौंका दिया है।
चुनावी साल में भाजपा किस जिले या संसदीय क्षेत्र को मजबूत करने के लिए प्रत्याशी की घोषणा करेगी, इस पर सबकी नजरें लगी थी। ऐसे में बड़े-बड़े दिग्गजों के नाम होने के बाबजूद डॉ.सिकंदर कुमार के नाम की घोषणा कर, हाईकमान ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
बताते चले प्रदेश में भाजपा की ओर से राज्यसभा उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर मीडिया सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉम्स पर कई नामों पर चर्चा चल रही थीं, जिसमे पूर्व में प्रदेश के संगठन मंत्री रहे महेंद्र पांडे और संघ से जुड़े अजय जम्वाल,
त्रिलोक कपूर, पूर्व सांसद वीरेंद्र कश्यप, कैबिनेट मंत्री सुरेश भारद्वाज के अलावा कई अन्य नामों पर चर्चा चल रही है। इसके अलावा भाजपा के सभी वरिष्ठ नेता अपने नजदीकी को राज्यसभा भेजने के लिए लाबिंग कर रहे थे। लेकिन भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने सिकंदर कुमार के नाम पर मुहर लगा कर सभी को चौंका दिया है।
डॉ.सिकंदर कुमार वर्तमान एचपीयू के कुलपति के तौर पर कार्यरत है। वह हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से संबंध रखते हैं। सिंकदर कुमार भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। अब वह राज्य सभा सदस्य के तौर पर अपनी भूमिका निभाएंगे।
माना जा रहा है कि भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा सिकंदर कुमार के नाम पर इसलिए मुहर लगाई है, क्योंकि भाजपा हिमाचल के अनुसूचित जाति के वोटरों को अपनी ओर साधना चाहती है। क्योंकि प्रदेश में सवर्ण आयोग बनाने को लेकर भाजपा को सवर्ण जातियों का विरोध सहना पड़ रहा है। ऐसे में अगर अगामी विधानसभा चुनाव में सवर्ण वोटरों का बटवारा भी होता है तो, अनुसूचित जाति के वोटरों का झुकाव भाजपा की तरफ हो जाए। क्योंकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी अनुसूचित जाति से आते है। ऐसे में अनुसूचित जाति से एक और सांसद बना कर भाजपा अनुसूचित जाति के वोटरों का झुकाव अपनी ओर कर हिमाचल प्रदेश में बड़ा कार्ड खेलना चाहती है।