प्रजासत्ता|
कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए शारीरिक दूरी भले हम न बना पाए हों लेकिन सामाजिक दूरी बनाते चले जा रहे हैं। संक्रमित मरीज को अकेले छोड़ना, सहयोग न करने की घटनाएं आम हो रही हैं। ऐसे ही दुखी करने वाले मामले संक्रमित की मौत के बाद अंतिम संस्कार में भी सामने आ रहे हैं।
यह शख्स अपने माता के शव को कांधे पर लेकर शमशान नही जा रहा… बल्कि सरकार और सरकारी सिस्टम और इंसानियत को भी कंधे पर उठा कर साथ लेकर जा रहा है|
यह तस्वीर कांगड़ा जिला के देहरा की बताई जा रही है ,,, जहां बेटे ने अकेले शव को उठाकर तीर्थ स्थल पर पहुंचाने के बाद मुख्य अग्नि दी।
मिली जानकारी मुताबिक रानीताल में ऐसा ही मानवता को शर्मसार करने वाला एक मामला सामने आया है, जिसमें एक कोरोना संक्रमित महिला की मौत के बाद उसको कंधा देने के लिए भी कोई आगे नहीं आया। मजबूरीवश पुत्र अपनी मां के शव को कंधे पर उठाकर श्मशानघाट पहुंच गया तब जाकर मां का अंतिम संस्कार किया गया।
जानकारी अनुसार रानीताल के समीपवर्ती गांव भंगवार में वीरवार सुबह एक कोरोना संक्रमित महिला जो कि भंगवार पंचायत की पूर्व में उपप्रधान भी रह चुकी है की घर पर ही मृत्यु हो गई। हद तो उस समय हो गई जब उस महिला को श्मशान घाट तक ले जाने के लिए कोई शव को कंधा लगाने भी आगे नहीं आया। ऐसे में जैसे तैसे उसके पुत्र वीर सिंह ने खुद को संभाला और मां के शव को कंधे पर उठाकर अंतिम संस्कार के लिए चल पड़ा। बताया जा रहा है कि आगे-आगे पुत्र मां के शव को कंधे पर उठाकर ले जा रहा था तो उसके पीछे ढेड़ वर्ष के बच्चे को कंधे से लगाए और दूसरे हाथ में अपनी सास के अंतिम संस्कार में उपयोग होने वाली सामग्री को लेकर उसकी पत्नी चली हुई थी।
रानीताल में हुए इस वाक्या ने सच में मानवता को शर्मसार करके रख दिया है। कोरोना महामारी के दौरान सोशल मीडिया पर कोरोना संक्रमित लोगों को सहायता प्रदान करने संबंधी लोगों द्वारा बहुत बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं, लेकिन मानवता को शर्मसार करने वाली इस तस्वीर ने सबकी पोल खोलकर रख दी है|