प्रजासत्ता ब्यूरो|
देश के विभिन्न राज्यों में बनी 61 छावनियों के सिविल इलाकों को नगर निकायों में शामिल करने की कवायद तेज हो गई है। डायरेक्टर जनरल कार्यालय से जारी पत्र के अनुसार देश के 61 छावनी क्षेत्रों का पंचायती राज या स्थानीय नगर निकायों में विलय किया जाना है। रक्षा मंत्रालय ने इसके लिए एक कमेटी का गठन भी किया है, जिसमे सात सदस्यों को शमिल किया गया है। यह कमेटी छावनी क्षेत्रों के विलय को लेकर कार्य करेगी।
उल्लेखनीय है कि छावनियों के सिविल क्षेत्रों का निकायों में विलय होने के बाद राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ सिविल क्षेत्रों को मिलना शुरू हो जाएगा। बता दें कि बदलाव के पीछे की बड़ी वजह यह है कि रक्षा मंत्रालय का बड़ा बजट कैंट क्षेत्रों पर खर्च होता है। इसलिए छावनियों के सिविल इलाकों को नगर निकायों में विलय करने के फैसले पर रक्षा मंत्रालय की सैद्धांतिक सहमति भी बन चुकी है।
इस विलय के बाद छावनी के भीतर सैन्य क्षेत्र को सैन्य स्टेशन में बदल दिया जाएगा, जबकि नागरिक क्षेत्र को नगर निकायों में मिला दिया जाएगा। पहले चरण में 23 छावनियों का चयन किया गया है। रक्षा मंत्रालय द्वारा बनाई गई सात सदस्यीय कमेटी दो महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपेगी।
इसी योजना के तहत हिमाचल के छ: छावनी क्षेत्रों से भी ब्योरा मांगा गया है। हिमाचल प्रदेश के सुबाथू, डगशाई, कसौली, डलहौजी, बकलोह और जतोग कैंट को खत्म करके पंचायतों में विलय के लिए सहमति पत्र भी जल्द रक्षा मंत्रालय को भेज दिया जाएगा। उम्मीद है कि जल्द ही हिमाचल के छावनी क्षेत्रों की विलय प्रक्रिया शुरू होने के बाद स्थानीय लोगों को भी राहत मिलेगी।