प्रजासत्ता|
हिमाचल प्रदेश के राज्य सचिवालय में कोविड के शुरुआती दौर में हुए सैनिटाइजर घोटाले की तफ्तीश करने वाली विजिलेंस अब इस मामले में संलिप्त चार आरोपियों के खिलाफ़ जल्द ही कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करेगा। गौरतलब है कि सरकार ने मामले में फंसे तीन अन्य कर्मचारियों की तो मंजूरी विजिलेंस ब्यूरो को पहले ही दे दी थी| लेकिन अब पुष्पलता सिंघा के खिलाफ़ अनुमति के मिलते ही, विजिलेंस ब्यूरो पुष्पलता सिंघा समेत राज्य सचिवालय के कुल चार अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करेगा।
बता दें कि विजिलेंस इस मामले पर पिछले छह महीने से जांच पूरी करने के बाद भी हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई थी। कारण, ब्यूरो ने सचिवालय में तैनात संयुक्त सचिव पुष्पलता सिंघा के खिलाफ जांच में मिले साक्ष्यों के आधार पर प्रदेश सरकार से अभियोजन मंजूरी मांगी थी। लेकिन सरकार की तरफ से ढील ढाल रवैये के कारण यह जांच लटकती जा रही थी|
सरकार ने मामले में फंसे तीन अन्य कर्मचारियों के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी तो ब्यूरो को पहले ही दे दी थी, लेकिन पुष्पलता सिंघा के मामले में न तो मंजूरी दी थी और न ही मंजूरी देने से इंकार किया था। मंजूरी पर जवाब न आने की वजह से चार्जशीट में सिंघा का नाम शामिल करने या न करने पर फैसला नहीं हो पा रहा। ऐसे में ब्यूरो भी सरकार के निर्णय का इंतजार कर रहा था।
जांच एजेंसी लगातार पत्र और रिमाइंडर लिखकर अनुमति मांग रही थी। हाल ही में मुख्यमंत्री ने जब भाजपा चार्जशीट और विजिलेंस में लंबित मामलों की समीक्षा की तो इस अभियोजन स्वीकृति की बात भी उठ गई। इसी के बाद अब मुख्यमंत्री कार्यालय ने अभियोजन की स्वीकृति दे दी है।
गौर हो कि हिमाचल प्रदेश के राज्य सचिवालय में कोविड के शुरुआती दौर में हुए सैनिटाइजर घोटाले की खास बात यह है कि यह वही घोटाला है जिसकी जांच जयराम सरकार ने ही विजिलेंस ब्यूरो को दी थी। इसी मामले में भाजपा के एक नेता और ठेकेदार का भी नाम भी आया था। ब्यूरो ने मामले की जांच को छह महीने में पूरा कर लिया और चार्जशीट भी तैयार कर ली, लेकिन सरकार पिछले छह महीने से इस जांच में आरोपितों के खिलाफ अभियोजन मंजूरी पर फैसला नहीं ले पाई थी। यह तब है जब प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का दावा करती है। लेकिन आखिरकार अब सरकार को अभियोजन की मजूरी देनी ही पड़ी|