प्रजासत्ता|
हिमाचल में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए कोरोना कर्फ्यू लगाया गया है। सार्वजनिक परिवहन सेवाएं बंद हैं। एचआरटीसी की बसों की आवाजाही भी बंद है। जिसके चलते कोरोना काल हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) की आर्थिकी पर भारी पड़ा है। बसें नहीं चल रही हैं इसलिए कमाई भी शून्य है। परिवहन सेवाएं बहाल होने के बाद कमाई भी शुरू हो जाएगी, लेकिन एचआरटीसी को घाटे से उभरने में अभी समय लगेगा।
गौर हो कि कोरोना कर्फ्यू की वजह से एचआरटीसी को हर दिन एक से डेढ़ करोड़ रुपये तक का नुकसान हो रहा है। एचआरटीसी को अब तक 700 करोड़ से अधिक का नुकसान हो चुका है। कोरोना कर्फ्यू ने एचआरटीसी की कमर तोड़ दी है। अगर एक जून से परिवहन सेवाएं बहाल नहीं हुई तो घाटा और बढ़ेगा।
बता दें कि एचआरटीसी लंबे समय से नुकसान झेल रहा है| कोरोना की वजह से यह नुकसान और ज्यादा बढ़ गया है| बीते कुछ महीनों में एचआरटीसी अपने कर्मचारियों को तनख्वाह भी देरी से दे रहा था| एचआरटीसी के पूर्व कर्मचारियों को समय पर पेंशन भी नहीं मिल रही है| प्रदेश भर में एचआरटीसी के पास करीब 3 हजार 400 बस हैं. इनमें करीब 2 हजार 900 बस सेवा दे रही है| प्रदेश में कोरोना कर्फ्यू की वजह से बस खड़ी है| इस वजह से एचआरटीसी को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है|
एचआरटीसी को पिछले साल यानी 2020 में कर्फ्यू के कारण भी भारी नुकसान उठाना पड़ा था। पिछले साल कर्फ्यू के कारण एचआरटीसी का घाटा करीब 650 करोड़ के आसपास पहुंच गया था। इसके कारण एचआरटीसी की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई थी। एचआरटीसी के अधिकारियों की मानें तो कोरोना कर्फ्यू लगने से पहले यानी मार्च में निगम को एक महीने में 49 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी। इससे पहले यह आंकड़ा और भी अधिक था। पिछले साल कर्फ्यू के कारण भी बड़ा नुकसान हुआ था। अब कोरोना कर्फ्यू के कारण एचआरटीसी और घाटे में चली गई है।