प्रजासत्ता ब्यूरो|
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन भरने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। कई असंतुष्ट नेताओं ने भी नामांकन किए हैं। इससे भाजपा और कांग्रेस दोनों की चिंता बढ़ गई है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह
की तिकड़ी ने जहाँ प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा ने इस विधानसभा चुनाव में एंटी इनकंबेंसी को रोकने के लिए टिकटों को काटने का दांव खेलते हुए पार्टी ने 25 से ज्यादा विधायकों के टिकट काटे हैं और 2 मंत्रियों की सीटें बदली हैं।
हिमाचल में रिवाज बदलने और भाजपा की सरकार फिर से बनाने में के प्रयास में भाजपा ने यह न्य दाव तो खेला है लेकिन पार्टी के इस निर्णय से पार्टी में बगावत बढ़ने लगी। टिकट न मिलने से खपा नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं का सब्र का बांध टूटने लगा और उनके बगावती स्वर मुखर होने लगे।
हालांकि इस बार भाजपा में जितनी बगावत देखने को मिल रही है, आज से पहले शायद ही कभी ऐसी बगावत हुई हो। टिकट न मिलने से नाराज नेताओं का पार्टी के खिलाफ मुखर होना और इससे चुनाव में पार्टी को नुकसान होता देखकर ही भाजपा हाई कमान एक्शन मोड में आ गए हैं। विरोध कर रहे लोगों को शांत करने के लिए भाजपा अध्यक्ष को चेतावनी तक जारी करनी पड़ी है।
केन्द्रीय नेतृत्व से बातचीत के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने कहा कि यह निर्णय लिया गया है कि अगर पार्टी का कोई भी कार्यकर्ता या पदाधिकारी विधान सभा चुनाव में पार्टी द्वारा अधिकृत प्रत्याशी के विरूद्ध निर्दलीय चुनाव लड़ता है या पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाया जाता है तो उसके विरूद्ध सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की इस चेतावनी का असर 28 अक्टूबर को देखने को मिलेगा। इस दिन नामांकन वापस लेने का आखिरी दिन है और कई बागी नेता, जिन्होंने बतौर आजाद उम्मीदवार अपना नामांकन पत्र भरा, क्या वह अपना नाम वापस लेंगे, यह देखने लायक होगा। पार्टी की भी नजर रहेगी।