प्रजासत्ता ब्यूरो।
हिमाचल प्रदेश में भाजपा इस बार चुनावी करिश्मे के इंतज़ार में है। वो हिमाचल में यूपी जैसी जीत दोहराकर लगातार दूसरी बार सत्ता में बने रहने की कोशिश में है। बता दें कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हिमाचल में कुछ स्थानीय मुद्दों को लेकर जनता और सरकार के बीच बड़ा तनाव रहा है। जिसे लेकर लोगों में काफ़ी विरोध है।
लेकिन सरकार इस विरोध से बचने के लिए हिंदुत्व का कार्ड खेल रही है। आमतौर पर चुनाव स्थानीय मुद्दों और सरकार के कामकाज पर लड़ा जाता है, लेकिन हिमाचल प्रदेश भाजपा, पीएम मोदी और हिंदुत्व, धारा 370, राम मंदिर, और ऐसे ही कई मुद्दों को लेकर चुनाव लड़ रही है।
हिमाचल में लगातार दूसरी बार सत्ता में बने रहने के लिए भाजपा ने सबकुछ दांव पर लगा दिया है। प्रधानमंत्री मोदी और यूपी के सीएम योगी जैसे भाजपा के स्टार प्रचारकों के अलावा संगठन और केंद्र-राज्य सरकारों के चेहरे हिमाचल की धरती पर उतार दिए हैं। लेकिन, चर्चा सबसे ज़्यादा इस बात की हो रही है कि योगी आदित्यनाथ को जिस तरह हिंदुत्व का पोस्टर बॉय बनाकर प्रचार को आक्रामक बनाया जा रहा है।
हिमाचल में एक दिन में तीन-तीन रैलियां और कई जनसभाएं साफ इशारा करती हैं कि सीएम योगी आदित्यनाथ को लेकर हिमाचल BJP का स्थानीय संगठन और पार्टी के रणनीतिकार एक नई लकीर खींचना चाहते हैं। इसीलिए, परंपरागत चुनावी रैलियों से अलग योगी आदित्यनाथ ने जब-जब मंच और माइक संभाला है, तब-तब कांग्रेस और AAP पर करारा हमला बोला है। वो अपने चिर परिचित अंदाज़ में राहुल, प्रियंका या केजरीवाल और उनकी पार्टी पर निजी हमला करने से भी नहीं चूकते। सीएम योगी आदित्यनाथ हिंदुत्ववादी एजेंडे को हिमाचल में भी विस्तार देने की कोशिश में हैं।
योगी की इन रैलियों का सबसे ज़्यादा दारोमदार इस बात पर टिका है कि कैसे देवभूमि में हिंदुत्ववादी मुद्दों के ज़रिये वोटों की गोलबंदी हो सके। इससे पार्टी को तात्कालिक तौर पर चुनावी फ़ायदा और भविष्य में हिंदुत्व के आधार को मज़बूती मिलने की उम्मीद है।
ऐसा नहीं है कि हिमाचल प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की रैलियां सिर्फ़ मुख्यमंत्री होने की वजह से प्लान की गई हैं।
दरअसल लोगों से बातचीत करने पर मालूम हुआ कि प्रशासनिक मामलों को लेकर योगी के कामकाज का स्टाइल पसंद किया जा रहा है। इसके अलावा हिंदुत्व का मुद्दा भी लोगों की ज़ुबान पर कई महीने पहले से गूंज रहा था। ऐसे में लोग मज़बूत मुख्यमंत्री की उम्मीद में योगी जैसा ब्रांड अपने राज्य में चाहते हैं। यहां मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के कामकाज और उनकी छवि से ज़्यादा अब चुनावी फोकस योगी और उनकी हार्डकोर हिंदुत्ववादी छवि पर आकर टिक गया है।