प्रजासत्ता ब्यूरो।
हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। लोग इस बात को लेकर उत्सुक हैं कि राज्य में इतिहास को दोहराया जाएगा या फिर 37 साल पुरानी ऐतिहासिक परंपरा बदल जाएगी।
दरअसल, हिमाचल प्रदेश में 1985 से लगातार यहां की जनता एक बार कांग्रेस को तो दूसरी बार भाजपा को मौका दे रही है। हालांकि इस बार आम आदमी पार्टी भी राज्य में उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रही है।
चुनावी सर्वेक्षण में तो भाजपा बढ़त बनाते हुए दिख रही है, लेकिन 2021 के उपचुनावों पर नजर डालें केन्द्र और राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा उपचुनाव में लोकसभा एवं विधानसभा की सीटें हार गई थी। ऐसे में राज्य में एंटी-इंकम्बेंसी से इंकार नहीं किया जा सकता है। हालांकि भाजपा ‘डबल इंजन’ की सरकार की बात कर लोगों को लुभाने की पुरजोर कोशिश कर रही है। साथ ही बड़े नेताओं को भी प्रचार के लिए उतार दिया है।
वहीं हिमाचल में कांग्रेस के लिए एक अच्छी बात जरूर है कि ओल्ड पेंशन, भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार,और बेरोजगारी के मुद्दों के अलावा कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के बाद हिमाचल में राहुल और कांग्रेस की लोकप्रियता बढ़ी है।
हालांकि दोनों ही प्रमुख दलों के अपने-अपने दावे हैं, लेकिन मतदाताओं के मन में क्या चल रहा है यह कोई नहीं जानता। यदि मतदाता की मन:स्थिति 2021 वाली रही तो कोई आश्चर्य नहीं कि भाजपा को सत्ता से हाथ धोना पड़ जाए।