राज्य स्वास्थ्य समिति (एनएचएम अनुबंध कर्मचारी )महासंघ ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। महासंघ ने प्रदेश सरकार को 25 जनवरी तक स्थाई निति की अधिसूचना जारी करने का अल्टीमेटम दे दिया है। संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि यदि सरकार कोई स्थाई निति कर्मचारियों के लिए बनाती है तो वे सरकार का धन्यवाद करेंगे अन्यथा मजबूरन 2 फरवरी को हिमाचल प्रदेश के समस्त एनएचएम कर्मचारी एक दिन की सांकेतिक हड़ताल करेंगे, जिसे लंबे समय तक भी जारी रखा जा सकता है।
संघ का कहना है कि उन्हें विभिन्न पदों पर सेवाएं देते हुए 23 वर्ष से अधिक समय हो गया है, लेकिन उन्हें सरकार की तरफ से कोई लाभ नहीं दिया जा रहा है। महासंघ ने सरकार को 25 जनवरी तक स्थाई नीति बनाने का अल्टीमेटम दिया है। अगर, ऐसा नहीं होता है तो 2 फरवरी को प्रदेश के समस्त एनएचएम कर्मचारी हड़ताल करेंगे।
एनएचएम कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष अमीन चंद शर्मा ने शिमला में पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि सरकार कर्मचारियों को जब तक नियमित नहीं करती तब तक उन्हें रेगुलर पे स्केल दिया जाए। एनएचएम कर्मचारी लंबे समय से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इनमें से कुछ सेवानिवृत्त भी हो गए हैं, लेकिन आज तक सरकार कर्मचारियों के लिए स्थायी नीति नहीं बना पाई हैं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार 25 जनवरी तक इसकी अधिसूचना जारी नहीं करती है तो, 2 फरवरी को प्रदेश व्यापी हड़ताल की जाएगी जिसकी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी।
उन्होंने कहा कि मार्च 2016 में हिमाचल प्रदेश सरकार ने एक अधिसूचना तक जारी कर दी थी जिसके बाद आईजीएमसी शिमला व टांडा मेडिकल कॉलेज के कर्मचारियों को तो लाभ दे दिया, लेकिन एनएचएम कर्मचारियों को नजरअंदाज किया। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग हिमाचल प्रदेश में हजारों पद खाली हैं। जिनमें हमारे कर्मचारीयों को मर्ज कर भरा जा सकता है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार चाहे तो हम कर्मचारीयों को खाली पदों पर मर्ज कर सकती है।
उन्होंने सभी जिले के एनएचएम कर्मचारियों द्वारा मुख्य चिकित्सा अधिकारी के माध्यम से भी सचिव स्वास्थ्य, मिशन निदेशक, निदेशक स्वास्थ्य सहित तमाम अधिकारीयों को ज्ञापन दिया गया है व कल 21 जनवरी को हर जिले से उपायुक्त के माध्यम से भी मुख्य सचिव, मुख्य न्यायधीश हाई कोर्ट शिमला व अध्यक्ष राज्य आपदा प्रबंधन को ज्ञापन भेज दिया जायेगा। अगर, इस हड़ताल के दौरान किसी भी प्रकार की कोई भी जानमाल की हानि होती है तो उसके लिए मात्र हिमाचल प्रदेश सरकार व प्रशासन जिम्मेवार होगा।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के तत्त्वावधान में लगभग 1600 कर्मचारी पिछले 23 वर्षों से अपनी सेवाएं राज्य स्वास्थ्य समिति के अंतर्गत देते आ रहे हैं। इनके लिए न तो सरकार ने कोई स्थायी नीति बनाई और न ही स्थाई नीति बनाने की दिशा में कोई कारगर कदम उठाया है। न्यूनतम वेतन पर सेवाएं देने पर वर्ष 2016 में तत्त्कालीन सरकार ने मंत्रिमंडल में रेगुलर पे स्केल देने के लिए अधिसूचना जारी थी, लेकिन उसे सरकार ने लागू नहीं किया। वहीं जेसीसी की बैठक हुए डेढ़ माह हो गया है, लेकिन फाइल पर कोई कार्रवाई नहीं की गई