प्रजासत्ता ब्यूरो|
देशभर में हिमाचल का नाम खराब करने वाले 250 करोड़ रुपए के छात्रवृति घोटाले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने घोटाले के एक आरोपी भूपिंदर कुमार शर्मा को फिलहाल अंतरिम अग्रिम जमानत प्रदान कर दी है। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने देव भूमि इंस्टीट्यूट व देव भूमि ट्रस्ट के चेयरमैन भूपिंदर कुमार शर्मा को अंतरिम राहत देते हुए सीबीआई से स्टेट्स रिपोर्ट तलब की है।
आरोपित के खिलाफ सी.बी.आई. एंटी करप्शन ब्रांच शिमला के समक्ष भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 419, 465, 466, 471 और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13 के तहत मामला दर्ज किया गया है। आरोप है कि उक्त इंस्टीच्यूट ने मुफ्त शिक्षा के नाम पर अपने संस्थान में दाखिले दिए परंतु कुछ छात्रों को फीस अदा करने पर मजबूर भी किया।
संस्थान ने छात्रवृति का दावा भी किया जिसे इंस्टीच्यूट ने एस.बी.आई. ब्रांच कुम्बरा मोहाली पंजाब में खोले गए देव भूमि ट्रस्ट के अकाऊंट में स्थानांतरित किया। अनेक अकाऊंट छात्रों के नाम पर इंडियन बैंक ऊना में बैंक अधिकारियों से मिलीभगत कर खोले। यह अकाऊंट छात्रों को जानकारी दिए बगैर उनके नकली हस्ताक्षर कर खोले गए। इसके पश्चात छात्रों के नकली अकाऊंट से पैसे उक्त प्रार्थी के अकाऊंट में डाले गए। यह पैसे आरोपी के अकाऊंट में चैक के माध्यम से डाले गए थे।
जांच के दौरान 12 छात्रों ने अपने अकाऊंट होने से इंकार भी किया था। उन्होंने अपने नाम से उन चैक बुक को भी नकार दिया जिनसे आरोपी के अकाऊंट में स्कॉलरशिप के पैसे स्थानांतरित किए गए थे। मामले पर सुनवाई 6 जनवरी को होगी।
क्या है मामला
वर्ष 2013-14 से 2016-17 तक 924 निजी संस्थानों के विद्यार्थियों को 210.05 करोड़ और 18682 सरकारी संस्थानों के विद्यार्थियों को 56.35 करोड़ रुपये छात्रवृत्ति के दिए गए। आरोप है कि कई संस्थानों ने फर्जी दस्तावेज के आधार छात्रवृत्ति की मोटी रकम हड़प ली। जनजातीय क्षेत्रों के विद्यार्थियों को कई साल तक छात्रवृत्ति ही नहीं मिल पाई। शिक्षा विभाग की जांच रिपोर्ट के मुताबिक 2013-14 से वर्ष 2016-17 तक प्री और पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप के तौर पर विद्यार्थियों को 266.32 करोड़ रुपये दिए गए। इनमें गड़बड़ी पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप में हुई है।