प्रजासत्ता|
हिमाचल प्रदेश की जयराम सरकार ने अपने 4 साल 8 महीने के कार्यकाल में छह मुख्य सचिव बदल दिए हैं। सरकार के कार्यकाल में अब आर॰डी॰ धीमान को छठे मुख्य सचिव के रूप में नियुक्त किया गया है। इससे पहले विनीत चौधरी, बी॰के॰ अग्रवाल, श्रीकांत बाल्दी, अनिल खाची, रामसुभग सिंह
अपनी सेवाएं दे चुके हैं। इनमे से विनीत चौधरी और डॉ. श्रीकांत बाल्दी ही मुख्य सचिव रहते हुए समय पर सेवानिवृत्त हुए जबकि रामसुभग सिंह सहित वीसी फारका, बीके अग्रवाल और अनिल खाची बतौर मुख्य सचिव अपना कार्यकाल पूरा भी नहीं कर सके।
बता दें कि दिसंबर 2017 में जब जयराम सरकार सत्ता में आई थी, उस समय के मुख्य सचिव वीसी फारका थे। सत्ता बदलते ही भाजपा सरकार ने मुख्य सचिव वीसी फारका को हटाकर विनीत चौधरी को मुख्य सचिव लगाया। विनीत चौधरी ने अपना कार्यकाल पूरा किया। इसके बाद केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटे बीके अग्रवाल को मुख्य सचिव लगाया गया। लेकिन अग्रवाल अपने कार्यकाल के बीच में ही स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर दिल्ली लौट गए।
जयराम सरकार ने इसके बाद डॉ. श्रीकांत बाल्दी को मुख्य सचिव बनाया गया। इन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया। इसके बाद अनिल खाची को मुख्य सचिव लगाया गया। लेकिन सरकार और इनके बीच तनातनी के चलते इन्हें बीच कार्यकाल में ही बदल दिया गया। खाची के बाद रामसुभग सिंह जुलाई 2021 में मुख्य सचिव बने थे, लेकिन उन्होंने भी इस पद से इस्तीफा दे दिया और अब आर॰डी॰ धीमान को छठे मुख्य सचिव के रूप में नियुक्त किया गया है।
ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि जयराम सरकार द्वारा इतने ज़्यादा प्रयोग किए गए शायद आज तक की किसी ने भी नहीं किए होंगे। इससे सबसे बड़ा सवाल यही निकल कर सामने आता है कि सरकार को और प्रदेश की जनता को आख़िर क्या ख़ास हासिल हुआ। इनमे से कुछ के साथ तो सरकार की तनातनी रही वहीँ महंगी गाड़ी, भ्रष्टाचार के आरोप के अलावा प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) एक मुख्य सचिव की कार्यशैली से संतुष्ट नहीं होना भी सरकार की कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान लगाता है। जयराम सरकार ने बदलाव तो बहुत किए लेकिन इससे हासिल कुछ नहीं हुआ बाबजूद इसके सरकार की जनता और विपक्ष ने खूब बदनामी की।