प्रजासत्ता |
हिमाचल में नगर निगम चुनाव पार्टी चिह्न पर करवाने की घोषणा के बाद अब सियाशत एक बार फिर गरमा गई है| पार्टी चिह्न पर चुनाव की घोषणा के बाद कांग्रेस व भाजपा ने राजनीतिक बिसात भी बिछानी शुरू कर दी है,कौन सी चाल कब चलनी है इसकी रणनीति भी बन चुकी है| हालांकि यह चुनाव सभी दलों के लिए महत्वपूर्ण है लेकिन सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और भाजपा सरकार और उनके दिग्गज नेताओं की साख दाव पर लगी है, तो वहीँ 2022 के चुनाव को लेकर कांग्रेस के लिए भी यह नगर निगम चुनाव किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है| वहीँ माकपा,आप व हिमाचाल में सियासी जमीन तलाश कर रहे दल भी इस चुनाव में अपनी भूमिका बांध रहे है|
जहाँ मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और भाजपा सरकार ने पार्टी चुनाव पर नगर निगम चुनाव कराने का फैसला लेकर वाहवाही लुटी है, वहीँ उनके लिए यह एक बड़ी चुनौती भी है क्योंकि चुनाव में उनके तीन साल के शासनकाल की अग्नि परीक्षा होगी| ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा हिमाचल में सत्ता में है, ऐसे में सत्ताधारी दल होने के नाते उससे जीत की अपेक्षाएं बढ़ती है| वहीँ सरकार द्वारा तीन साल के कार्यकाल मे जो निर्णय लिए गए हैं जनता उसको ध्यान में रखते हुए अपने वोट का इस्तेमाल कर उसका परिणाम चुनाव में हराकर या जीताकर देगी|
अगर भाजपा सभी नगर निगम चुनाव जीत दर्ज करती है तो स्वाभाविक तौर पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर,मंत्रियों और भाजपा का कद बढ़ेगा, वहीँ अगर उन्हें हार का सामना करना पड़ा तो सीधा सवालिया निशान सरकार के तीन साल के कार्यकाल और उनकी नीतियों पर लगेगा| तीन साल के शासनकाल दौरान भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री, मंत्रियों व विधायकों द्वारा करवाए गए विकासकार्यों को ध्यान में रखते हुए जनता इन चुनावों में उनका रिपोर्ट कार्ड तय करेगी|
बता दें कि मुख्यमंत्री सहित भाजपा के नेता भी हाल ही में हुए पंचायत चुनाव में भाजपा समर्थित उम्मीदवारों के जीत जाने का दावा करते मंचों पर नजर आते हैं लेकिन सभी जानते है कि यह चुनाव पार्टी चुनाव चिन्ह पर नही हुए, जिससे इस पर सीधा किसी विशेष दल को जीता देना सही नही होगा| लेकिन नगर निगम चुनाव अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि सीधे तौर पर अब मतदाता सीधे से पार्टी के उमीदवार को वोट देंगे यां नही यह चुनाव परिणाम ही तय करेगा| लेकिन सभी के लिए यह चुनाव सीधे तौर पर यह 2022 में होने वाले चुनाव की सियासी जमीं तैयार करेगा|