प्रजासत्ता|
देश में कोविड-19 की दूसरी लहर की वजह से हालात बदतर होते जा रहे हैं। 2020 में आई इसकी पहली लहर से ज्यादा खराब स्थिति इस साल दिख रही है। हिमाचल में प्रतिबंध कड़े किए गए हैं और आंशिक लॉकडाउन, आंशिक कर्फ्यू की मदद लेकर संक्रमण पर अंकुश लगाने की कोशिशें की जा रही हैं। लेकिन बिगड़ते हालात चिंता को बढ़ा रहे हैं और लोगों को लॉकडाउन लगने का डर सता रहा है। कोविड-19 के बिगड़ते हालातों के बीच एक बार फिर छोटे कारोबारों को झटका लगने लगा है।
अभी तक पिछले लॉकडाउन से पूरी तरह रिकवर भी न हो सके ऐसे में कारोबारियों के साथ-साथ आम कर्जदारों भी परेशानियों में हैं| काम पूरी तरह बंद हो जाने पर नुकसान का खतरा फिर आ के खड़ा हो गया है। न जाने कितने ऐसे होंगे, जिन्होंने बैंक से विभिन्न कामों के लिए कर्ज ले रखा होगा और उसकी ईएमआई चुका रहे होंगे।
लेकिन आज कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। आज लोगों को अपने परिवार की रोजी-रोटी की चिंता सता रही है। वहीं बैंकों द्वारा उन्हें ईएमआई देने के लिए बाध्य किया जा रहा है| पिछले वर्ष लॉकडाउन के दौरान भी बैंको द्वारा पूरी-पूरी किस्तें मार्च माह में वसूली गई| जिससे लोगों को काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा|
प्रदेश में ऐसे समय में जब हालत एक बार फिर ख़राब है लोगों ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि कोरोना वैश्विक महामारी के चलते बैंकों से लिए ऋणों की ईएमआई को स्थगित किया जाए और ब्याज दरों को माफ़ किया जाए। इसमें कई कंपनियों के कर्मचारी, श्रमिक, किसान, बागवान, उद्यमी आदि सभी शामिल हैं।
कोरोना की दूसरी लहर में पिछले साल की भांति इस बार भी लोगों के जीवन को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया है। लोगों का काम धंधा चौपट हो गया है। बेरोजगारी से युवा परेशान हैं और बढ़ती महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ दी| इस समय कारोबार पूरी तरह से ठप्प पड़ गया है और लोग इस स्थिति में नहीं है कि वह बैंकों की ईएमआई दे सकें।
कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। सरकार को चाहिए की इस विपदा के समय सभी तरह के बैंकों से ऋण की वसूली तब तक स्थगित कर देना चाहिए, जब तक कोरोना का कहर कम नहीं हो जाता व प्रदेश की अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं लौट जाती।