प्रजासत्ता ब्यूरो।
हिमाचल प्रदेश में चुनाव को लेकर इस समय रैलियों का दौर चर रहा है। पूरे राज्य में 12 नवंबर को एक चरण में वोटिग होगी। आठ दिसंबर को नतीजे आएंगे। चुनाव प्रचार में सभी पार्टियां कड़ी मेहनत से लगी हैं। हालांकि मौजूदा सरकार भाजपा को सत्ता वापसी के लिए कड़ा परिश्रम करना पड़ रहा है। भाजपा के लिए अपने ही बागी मुसीबत बने हुए है।भाजपा हाईकमान और राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा भी बागियों को मानने में पूरी तरह से नाकाम रहा है।
प्रदेश में भाजपा हर पांच साल में सत्ता बदल देने का रिवाज बदलने की परंपरा को बदलने के नारे के साथ लड़ रही है लेकिन पांच साल की प्रदेश की और आठ साल की केंद्र की एंटी इन्कंबैंसी के बीच बागियों ने पार्टी की सिरदर्दी बढ़ाई है। एंटी इन्कंबैंसी कम करने के लिए पार्टी ने 11 विधायकों की टिकट काटी लेकिन इससे पार्टी के अंदर बगावत बढ़ गई।
बागियों को मनाने के लिए खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कमान संभाली थी। हिमाचल उनका गृह प्रदेश है इसलिए वे निजी तौर पर सभी छोटे बड़े नेताओं को जानते हैं। उनके साथ साथ मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी पूरी मेहनत की। पार्टी के आला नेताओं की पहल पर पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार भी गुस्सा छोड़ कर बागियों को मनाने और पार्टी के लिए प्रचार में उतरे। दूसरे पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार को धूमल को भी इस काम में लगाया गया और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी बड़ी मेहनत की। फिर भी करीब एक दर्जन सीटों पर बागी नेता भाजपा का खेल बिगाड़ रहे हैं। जिससे सत्ता में बैठी भाजपा को बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा।