प्रजासत्ता ब्यूरो|
हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने हिमाचल में जीरो एनरोलमेंट वाले 228 प्राइमरी और 56 मिडिल स्कूलों को डिनोटिफाई करके उनमें तालाबंदी कर दी है। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने रविवार को कहा कि शून्य छात्रों के नामांकन वाले 284 प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों को डी-नोटिफाई कर दिया गया है। डी-नोटिफाई किए गए विद्यालयों के शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को ऐसे स्कूलों में भेजा जाएगा, जहां पर स्टाफ की कमी चल रही है।
शिमला में प्रेस वार्ता के दौरान शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि भविष्य में आवश्यकता के अनुसार स्कूलों को खोला जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य में लगभग 3,000 स्कूल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं, जबकि 455 स्कूल (शिक्षकों के साथ) प्रतिनियुक्ति के आधार पर चल रहे हैं, जबकि शिक्षकों के 12,000 पद खाली हैं। ऐसे में बड़ा फैसला किया गया है और बड़ा बदलाव भी। राज्य में 15,313 सरकारी स्कूल हैं।
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि स्कूलों और कॉलेजों के लिए एक निर्धारित प्रारूप का पालन किया जाएगा। प्राथमिक के लिए कम से कम 10 छात्र, मिडिल के लिए 15, उच्च के लिए 20, वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों के लिए 25 और कॉलेजों के लिए 65 और मानकों को पूरा नहीं करने वाले स्कूलों और कॉलेजों को बंद कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में सेट किए गए पैरामीटर राष्ट्रीय पैरामीटर से कम हैं क्योंकि हिमाचल दुर्गम इलाके वाला एक पहाड़ी राज्य है।
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने पूर्व सरकार की शिक्षा व्यवस्था को घेरते हुए रोहित ठाकुर ने कहा कि पिछले 5 सालों में शिक्षा का स्तर काफी गिरा है। जयराम सरकार ने वोटों की राजनीति के लिए अंतिम 6 महीनों में 320 नए स्कूल खोले, जिसने 86,000 करोड़ रुपये का ऋण बोझ छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि 86 हजार करोड़ रुपए का ऋण उन्हें विरासत में मिला है। अकेले 11 हजार करोड़ रुपए कर्मचारियों के डीए और एरियर का लंबित है।
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि सरकारी स्कूलों में क्वालिटी एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए सरकार जल्द ट्रांसफर पॉलिसी में बदलाव करने जा रही है। शिक्षा मंत्री ने संकेत दिए कि ऐसे टीचर जो वर्षों से एक ही स्थान पर बैठे हुए हैं, उन्हें जल्द वहां से हटाया जाएगा। दूरदराज या ट्राइबल एरिया के स्कूलों में बरसों से काम करने वाले अध्यापकों को भी चॉइस के स्टेशन पर भेजा जाएगा।