हिमाचल की सुक्खू सरकार ने घाटे में चल रहे बोर्ड व कॉर्पोरेशन को मर्ज करने की तैयारी कर ली है। इन दिनों संबंधित विभाग सरकारी उपक्रमों के घाटे की रिपोर्ट तैयार करने में जुट गए हैं। मुख्य सचिव ने बजट सत्र से पहले रिपोर्ट देने को कहा है। सुक्खू सरकार घाटा कम करने और कमाई बढ़ाने के लिए एक के बाद एक कड़े फैसले ले रही है।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने बीते मंगलवार को सचिवालय में प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों और जिलाधीशों के साथ एक बड़ी बैठक की। इस बैठक में प्रशासन सचिवों को कहा गया है कि सरकार घाटे वाले बोर्ड-निगमों को मर्ज करना चाहती है,इसलिए जिस विभाग के तहत कोई भी बोर्ड या निगम है,वह इनके मर्जर को लेकर रिपोर्ट पेश करे।
दरअसल, सुक्खू सरकार घाटा कम करने के लिए बोर्ड कॉर्पोरेशन को मर्ज करना चाह रही है। प्रदेश में 10 से ज्यादा सरकारी उपक्रम ऐसे हैं, जो सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ाने का काम कर रहे हैं। ऐसे उपक्रमों को संबंधित विभाग में मर्ज किया जा सकता है। हालांकि पूर्व की सरकारों में भी कई बार इसके लिए प्रयास किए गए हैं। मगर, कर्मचारियों के विरोध और पॉलिटिकल इशू की वजह से यह काम लटक गया। सच्चाई यह है कि प्रदेश में कई बोर्ड कॉर्पोरेशन ऐसे हैं, जो सरकार पर केवल वित्तीय बोझ बढ़ाने काम कर रहे हैं। जिस मकसद से इनका गठन किया गया, वह मकसद पूरा नहीं हो रहा है।
हिमाचल में 9 बोर्ड व 13 कॉर्पोरेशन हैं। इनमें से अधिकांश घाटे में चल रहे हैं। इस वजह से कई बोर्ड कॉर्पोरेशन के लिए अपने कर्मचारियों की तनख्वाह देना भी मुश्किल हो गया है। सुक्खू सरकार ऐसे निगम बंद करने पर विचार कर रही है। कैग भी कई बार घाटे में चल रहे बोर्ड कॉर्पोरेशन के बारे में सरकार को चेता चुका है। वहीं कौन-सा बोर्ड निगम मर्ज करना है। इसका फैसला रिपोर्ट आने के बाद कैबिनेट लेगी अभी सभी बोर्ड निगमों की आर्थिक सेहत का लेखा-जोखा तैयार किया जा रहा है।
जानकारों की माने तो राज्य में नई सरकार बनने के बाद अचानक यह बदलाव इसलिए आया है,क्योंकि मुख्यमंत्री सुक्खू सरकारी अफसरों से दो कदम आगे चल रहे हैं। वह विभागीय समीक्षा बैठकों में ऐसे आइडियाज रखते हैं कि विभाग के अधिकारी भी पुरानी स्कीमें भूल जाते हैं। हालांकि सरकार अगला कदम क्या उठाएगी यह देखने वाली बात रहेगी। बहरहाल सरकार द्वारा अनावश्यक खर्च कम कर अपना राजस्व बढ़ाने की संभावनाओं को परखा जा रहा है।