प्रजासत्ता ब्यूरो|
हिमाचल प्रदेश में होने वाले अगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा 70 साल से अधिक उम्र के नेताओं को टिकट नहीं देगी। हालांकि पार्टी के नेता खुले तौर पर अभी इस पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं। लेकिन राजनीतिक जानकार कह रहे हैं कि चुनाव से पहले इसपर कुछ कहने से पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है। ऐसे में पार्टी की रणनीति है कि चुनावों के समय सीधे तौर पर ऐसे नेताओं के टिकट काटकर किसी युवा को मौका दिया जाएगा।
हालांकि सत्ता का मोह होता ही कुछ ऐसा है कि राजनेता 70 साल की उम्र पार कर लेने के बाद भी इससे दूरी नहीं बना पा रहे हैं। भाजपा में कई नेता ऐसे हैं जो 70 बरस की उम्र पार कर चुके हैं या पार करने वाले हैं, फिर भी विधानसभा चुनाव के टिकट की कतार में हैं। यदि टिकट को लेकर पार्टी ने 70 साल उम्र का फॉर्मूला इस्तेमाल करती है तो कई बड़े और दिग्गज नेताओ की टिकट कटनी तय है।
भाजपा देश की ऐसी एकमात्र सियासी पार्टी है जिसने अपने नेताओं के चुनाव लड़ने के लिये उम्र सीमा का फॉर्मूला तय करते हुए इसे अमली जामा पहनाना शुरू किया है। हालही में यूपी, गोवा, मणिपुर और उत्तराखंड में पार्टी ने इसी फार्मूले पर काम किया था, इसके पीछे पार्टी का तर्क है कि युवाओं को आगे आने का मौका नहीं मिल रहा, जिसमें पार्टी सफल भी रही। यही कारण है कि पार्टी ने अब 70 वर्ष से अधिक आयु वालों को टिकट न देने का मन बना लिया है।
अगर भाजपा ने 70 वर्ष से अधिक आयु वालों को टिकट न देने का फार्मूला हिमाचल प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनावों में लागू किया तो इसमें कई बड़े नेताओं के टिकट कट जाएंगे। जिनमे सबसे पहला नाम पूर्व सीएम प्रो. प्रेम कुमार धूमल का होगा, जिनकी आयु 78 वर्ष की हो चुकी है। वहीं, तेजतर्रार कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर 73 वर्ष के हो चुके हैं। कैबिनेट मंत्री सुरेश भारद्वाज भी 70 वर्ष की आयु को पूरा कर चुके हैं। कैबिनेट रैंक का दर्जा लेने वाले विधायक रमेश ध्वाला 71 के, विधायक कर्नल इंद्र सिंह 78 के और पवन नैय्यर 70 वर्ष की आयु पूरी कर चके हैं। पूर्व मंत्री गुलाब सिंह ठाकुर 74 के जबकि पूर्व सांसद व विधायक महेश्वर सिंह 71 के हो चुके हैं।
बता दें कि बीते दिनों पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर कुछ चुनिंदा कैबिनेट मंत्रियों, पार्टी के प्रभारियों और सांसदों की एक मीटिंग हुई, इसमें पार्टी को मजबूत करने के निर्णय के साथ- साथ ही टिकट वितरण की रणनीति समेत कई फैसले किए गए। यानी 70 प्लस के नेताओं को टिकट नहीं दिया जाएगा। पार्टी का मानना है कि नए लोगों को तभी मौका मिलेगा जब पुराने कार्यकर्ता, नए लोगों को रास्ता देंगे। पार्टी का मानना है कि यह टिकट काटना नहीं बल्कि बैटन अपने से कम उम्र के कार्यकर्ताओं को सौंपने जैसा है।